शहीदों के परिवार ने उठाई 'क्रांतिकारी संग्राहलय' की मांग, जिससे याद रहें देश के लिए उनकी कुर्बानी
शहीद सुभाष चन्द्र बोस, तात्या टोपे, भगत सिंह, बहादुर शाह जफर सहित एक दर्जन से अधिक क्रांतिकारियों के परिवार हर जिले में क्रांतिकारी संग्राहलय की मांग कर रहे हैं।
नई दिल्ली:
15 अगस्त को हमने अपना 72वां स्वतंत्रता दिवस मनाया लेकिन भारत को जो आजादी मिली है उसके पीछे देश के वीर सपूतों और वीरांगनाओं का बलिदान है। उन्होंन अपनी मिट्टी के लिए अपनी जान की देने से भी पीछे नहीं रहे और वक्त आने पर हंसते-हंसते अपने देश के लिए कुर्बान हो गए। आज उन्हीं शहीदों का परिवार उन्हें उनकी यादों को संजोने के लिए लगातार संघर्ष रहे हैं। देश को आजादी दिलाने में जिन क्रांतिकारियों ने अपना बलिदान दिया उनके परिवार के लोगो ने देश के सामने इस हकीकत को रखने के लिए एक कलश के साथ देश का भ्रमण शुरू किया है। इस कलश में क्रांतिकारियो के जन्मभूमि की मिट्टी है।
इस यात्रा में शहीद सुभाष चन्द्र बोस, तात्या टोपे, भगत सिंह, बहादुर शाह जफर सहित एक दर्जन से अधिक क्रांतिकारियों के परिवार हर जिले में क्रांतिकारी संग्राहलय की मांग कर रहे हैं।
इस दल ने गोवा में मिट्टी से भरे कलश को राष्ट्र ध्वज से सम्मानित कर यात्रा की शुरूआत की था। जो की महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, यूपी होते हुए राजस्थान के कोटा जिले में पहुंची। अब तक ये दल हजारो किमी की यात्रा पूरी कर चुका है।
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नेताजी सुभाष चन्द बोस की प्रपोत्री राज्यश्री ने बताया की इस यात्रा का करने का मुख्य उद्देश देश की जनता के सामने इन क्रांतिकारियों ने आजादी की लड़ाई कैसे लड़ी इसके बारे में बताना है। साथ जिन जिलो में क्रांतिकारियों का परिवार रहता है उन लोगो से मुलाकात की जा रही है।
वहीं सरकार से भी मांग की जा रही है की जिन क्रांतिकारियों ने देश के लिए कुर्बानी दी है उनके पूरे इतिहास की जानकारी लोगो को मिले इसके लिए संग्राहलय खोला जाए।
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