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Green Cracker-दिवाली पर करनी है आतिशबाजी तो जान लें ग्रीन पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दीपावली के मौके पर पटाखों की बिक्री से संबंधित एक फैसले के दौरान ग्रीन पटाखों का ज़िक्र किया था. कोर्ट ने मशविरा दिया था कि त्योहारों पर कम प्रदूषण करने वाले ग्रीन पटाखे ही बेचे और जलाए जाने चाहिए.

Updated on: 22 Oct 2019, 01:33 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दीपावली के मौके पर पटाखों की बिक्री से संबंधित एक फैसले के दौरान ग्रीन पटाखों का ज़िक्र किया था. कोर्ट ने मशविरा दिया था कि त्योहारों पर कम प्रदूषण करने वाले ग्रीन पटाखे ही बेचे और जलाए जाने चाहिए. आपको बता दें कि इन ग्रीन पटाखों की खोज भारतीय संस्था राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान ( नीरी ) ने की है. दुनियाभर में इन्हें प्रदूषण से निपटने के एक बेहतर तरीके की तरह देखा जा रहा है.

क्या होते हैं ग्रीन पटाखे
औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की संस्था नीरी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ऐसे पटाखों की खोज की जो पारंपरिक पटाखों जैसे ही होते हैं लेकिन इनके जलने से कम प्रदूषण होता है. खास बात यह है कि ग्रीन पटाखे दिखने, जलाने और आवाज में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं. ग्रीन पटाखे न सिर्फ जलने पर पानी के अणु पैदा करते हैं, जिसके कारण पटाखों द्वारा उत्पन्न प्रदूषण नियंत्रित होता है. यह पटाखे धूल को सोखने की क्षमता भी रखते हैं. इन पटाखों से कम धुंआ निकलता है जिससे प्रदूषण भी कम होता है. 

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तीन तरह के होते हैं ग्रीन पटाखे 
ग्रीन पटाखे सामान्मुय तौर पर तीन तरह के होते हैं. एक जलने के साथ पानी पैदा करते हैं जिससे सल्फ़र और नाइट्रोजन जैसी हानिकारक गैसें इन्हीं में घुल जाती हैं. इन्हें सेफ़ वाटर रिलीज़र भी कहा जाता है. दूसरी तरह के स्टार क्रैकर के नाम से जाने जाते हैं और ये सामान्य से कम सल्फ़र और नाइट्रोजन पैदा करते हैं. इनमें एल्युमिनियम का इस्तेमाल कम से कम किया जाता है. तीसरी तरह के अरोमा क्रैकर्स हैं जो कम प्रदूषण के साथ-साथ खुशबू भी पैदा करते हैं.

बाजार में उपलब्ध हैं ग्रीन पटाखे
दिवाली से पहले बाजार ग्रीन पटाखों से भरा पड़ा है. पिछले साल जब सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल की सलाह दी थी. तब उन्हें बाजार में उपलब्ध कराने के लिए ज्यादा समय नहीं था. प्रशासन की ओर से भी दुकानदारों को ग्रीन पटाखे बेचने को कहा गया है. इन्हें आप अपने नजदीकी बाजार से खरीद सकते हैं. हालांकि कि दुकानदार से इस बात की तस्दीक कर लें कि पटाखे ग्रीन हैं या नहीं.  

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आठ हजार करोड़ा का है शिवकाशी का बाजार
देश में शिवकाशी पटाखों का सबसे बड़ा बाजार है. यहां सालाना 8000 करोड़ का सालाना कारोबार होता है. शिवकाशी ने इस बार बड़े पैमाने पर ग्रीन पटाखे तैयार किये हैं, जो इको - फ्रेंडली होंगे. इनसे नुकसानदायक रासायनिक उत्सर्जन भी कम होगा और आवाज भी कम होगी. ये पूरी तरह सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के तहत ही बनाए गए हैं. 1000 मेनुफैक्चरिंग इकाइयों ने बड़े पैमाने पर ग्रीन पटाखों का निर्माण किया है.  

कौन सा पटाखा हवा में घोलता है कितना पीएम 2.5
सांप वाला पटाखा- यह 3 मिनट के अंदर 64,849 यूजी/क्यूबिक मीटर पीएम 2.5 छोड़ता है.
चटाई बम(1000 लड़ी वाली)- 6 मिनट के अंदर 47, 789 यूजी/क्यूबिक मीटर पीएम 2.5 छोड़ता है.
पुलपुल- ये 3 मिनट में 34,068 यूजी/क्यूबिक मीटर पीएम 2.5 छोड़ता है.
फुलझड़ी- 2 मिनट में 10,898 यूजी/क्यूबिक मीटर पीएम 2.5 छोड़ता है.
चकरी- 5 मिनट में 10,475 यूजी/क्यूबिक मीटर पीएम 2.5 छोड़ता है.
अनार बम- 3 मिनट में 5,640 यूजी/क्यूबिक मीटर पीएम 2.5 छोड़ता है.

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आतिशबाजी को लेकर क्या थीं सुप्रीम कोर्ट की शर्तें.

1. केवल कम प्रदूषण करने वाले पटाखे बेचने की अनुमति होगी.
2. ये पटाखे एक तय समय में और तय किए गए एरिया में ही बेचे जाएंगे.
3. सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर पूरी तरह प्रतिबंध से इंकार कर दिया था.
4. ये पटाखे ध्यान रखें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार दीवाली की रात 08 बजे से 10 बजे के बीच ही पटाखे चलाए जा सकेंगे.
5. क्रिसमस और नए साल के मौके पर फायरक्रैकर्स रात 11.55 से रात 12.30 तक ही छोड़े जा सकेंगे.
6. केवल वही पटाखे बेचने और छोडने की अनुमति होगी, जो कम धुआं और प्रदूषण फैलाएं. इन पटाखों को केवल लाइसेंसी दुकानों से खरीदा जा सकेगा.
7. कोर्ट का कहना है कि हमने दीवाली के मौके पर परंपरा को देखते हुए और प्रदूषण के संकट के मद्देनजर संतुलन स्थापित करने की कोशिश की है.
8. पटाखों को ऑनलाइन नहीं बेचा सकता है, जो साइट्स ऐसा करेंगी, उन पर कार्रवाई की जाएगी.
9. सुरक्षित और ग्रीन पटाखों का निर्माण और बिक्री पहले की तरह जारी रहेगी.
10. संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) सभी वर्ग के लोगों पर लागू होता है और पटाखों पर देशव्यापी प्रतिबंध पर विचार करते समय संतुलन बरकरार रखने की जरूरत है.