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Hijab Controversy Row: हिजाब विवाद पर कर्नाटक सरकार का बड़ा फैसला, राज्य से बैन हटाया

Hijab Controversy Row: कर्नाटक की सरकार ने हिजाब मामले पर बड़ा फैसला लिया है. इसे हटाने का फैसला किया है.

Updated on: 23 Dec 2023, 05:40 AM

नई दिल्ली:

Hijab Controversy Row: इस साल की शुरुआत में हिजाब को लेकर काफी विवाद हुआ था. इस का विरोध सड़क से लेकर संसद तक चला था. वहीं इसकी गूंज हाइकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई थी. लेकिन अब सरकार ने इस पर बड़ा फैसला लिया है. कर्नाटक की सिद्धारमैया की सरकार ने हिजाब पर बैन लगाने वाले निर्णय पर बड़ा फैसला किया है. कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने अधिकारिक तौर पर इस फैसले को पलटने का निर्णय कर लिया है. 

सीएम सिद्धारमैया ने इस बात की जानकारी सोशल मीडिया साइट एक्स पर दी. सीएम ने इस संबंध में कहा है कि कोई भी व्यक्ति क्या पहने और किस तरह से कपड़े पहने ये उनपर छोड़ देना चाहिए. इस मुद्दे पर किसी भी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए. इसके साथ ही सीएम सिद्धारमैया ने विपक्ष पर लोगों को बांटने का आरोप लगा दिया. आपको बता दें कि कर्नाटक में जब बीजेपी की सरकार थी जिसने स्कूलों में हिजाब पहने पर बैन लगा दिया गया था. 

स्कूल में हिजाब से हुआ था विवाद

हिजाब बैन की शुरुआत इसी साल जनवरी में हुई थी. कुछ छात्राएं हिजाब पहन कर स्कूल में प्रवेश करना चाहती थी लेकिन स्कूल प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं दी थी. जिसके बाद छात्राओं ने इसका विरोध किया था. लेकिन स्कूल प्रशासन ने इसके बाद भी हिजाब की इजाजत नहीं दी थी. जिसके बाद कई पार्टियों ने इस फैसले का विरोध किया था. इसके साथ ही कई छात्र स्कूलों में भगवा गमछा पहनकर स्कूल आ रहे थें. जिसके बाद सरकार ने इस विवाद को रोकने के लिए फैसला लिया था. 

पूरा घटनाक्रम

इस घटना को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय ने सभी स्कूलों से स्कूल के ड्रेस कोड को लागू करने का फैसला किया था. इस फैसले के विरोध में कुछ छात्राएं कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख किया था. कर्नाटक हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए लड़कियों को स्कूल का नियम यानी ड्रेस कोड पहने की सलाह दी थी. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने टिप्पणी में कहा था कि हिजाब इस्लाम का हिस्सा नहीं है.  इस फैसले से संतुष्ट न होने पर मुस्लिम छात्राओं ने सुप्रीम  कोर्ट से गुहार लगाई थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकार्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए स्कूल ड्रेस पहने का फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को खारिज करते हुए इसे पंसद का मामला बताया था.