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Hamari Sansad Sammelan: इंदौर से जीतने वाले शंकर लालवानी के राजनीतिक सफर की कहानी

सिंधी समाज से आने वाले लालवानी ने इस बार अपने राजनीतिक करियर का पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था जिसमें उन्होंने कांग्रेस को हराकार 30 साल से जार बीजेपी की जीत सफर कायम रखा.

Updated on: 21 Jun 2019, 01:21 PM

highlights

  • शंकर लालवानी ने इस बार पहली बार लड़ा था लोकसभा चुनाव
  •  बचपन से ही राष्‍ट्रीय स्‍वयं संघ से जुड़े रह
  • माने जाते हैं सुमित्रा महाजन और शिवराज सिंह चौहान के करीबी

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश के परिणाम हर किसी के लिए चौंकाने वाले थे. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने यहां की 29 में से 28 सीटें जीत ली और कांग्रेस किसी तरह एक सीट जीतने में कामयाब हो पाई. यहां की इंदौर सीटे से बीजेपी उम्मीदवार शंकर लालवानी ने बेहतरीन जीत हासिल की. उन्होंने इस सीट से कांग्रेस के पंकज संघवी को 547754 वोटों से हराया. 

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कौन हैं लालवानी

शंकर लालवानी ने मुंबई से बी-टेक की पढ़ाई की है. बचपन से ही वह राष्‍ट्रीय स्‍वयं संघ से जुड़े हैं. वे इंदौर सिंधी समाज, इंदौर स्वर्णकार समाज, मप्र स्वर्णकार संघ के अध्यक्ष और भारतीय सिंधु सभा के 10 वर्ष तक अध्यक्ष भी रहे. लालवानी 1994 में छोटे भाई प्रकाश को हराकर पहली बार पार्षद बने थे. प्रकाश को कांग्रेस ने मैदान में उतारा था. शंकर लालवानी के राजनीतिक करियर की शुरुआत बड़ी दिलचस्प रही. 1994 में बीजेपी ने इन्हें सिंधी कॉलोनी के वार्ड से टिकट दिया तो कांग्रेस ने इनके छोटे भाई प्रकाश को उम्मीदवार बना दिया. घर में ही दोनों के बीच वोट बंट गए. अंतत: उनकी मां ने शंकर का साथ दिया और फिर चुनाव भी वे ही जीते.

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शंकर लालवानी इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) के चेयरमैन और इंदौर नगर निगम के सभापति रह चुके हैं. शंकर लालवानी को पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) का करीबी माना जाता है. 1993 में विधानसभा क्षेत्र-4 से उन्हें बीजेपी अध्यक्ष बनाया गया था. सिंधी समाज से आने वाले लालवानी ने इस बार अपने राजनीतिक करियर का पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था जिसमें उन्होंने कांग्रेस को हराकार 30 साल से जार बीजेपी की जीत सफर कायम रखा.