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संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए लंबे प्रयासों से पीछे नहीं रहेगी सरकार : जयशंकर

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्यता दिलाने के मुद्दे पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में कहा कि इसके लिए लंबे धैर्य, प्रयास और आकांक्षा की आवश्यकता पड़ेगी और इससे सरकार कभी पीछे नहीं रहेगी.

Updated on: 28 Nov 2019, 08:25 PM

संसद:

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्यता दिलाने के मुद्दे पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में कहा कि इसके लिए लंबे धैर्य, प्रयास और आकांक्षा की आवश्यकता पड़ेगी और इससे सरकार कभी पीछे नहीं रहेगी. उच्च सदन में विदेश नीति और हाल में की गयी शीर्ष स्तरीय विदेश यात्राओं के बारे में जयशंकर के स्वत: आधार पर दिये गये बयान पर विभिन्न सदस्यों द्वारा पूछे गये स्पष्टीकरण के जवाब में विदेश मंत्री ने यह बात कही. इस मुद्दे पर विदेश मंत्री ने कहा कि हम तो चाहेंगे कि यह हमें ‘‘जल्द’’ मिले. ‘‘किंतु व्यावहारिक दृष्टिकोण का तकाजा यह है कि इसमें काफी धैर्य और लंबे प्रयास करने पड़ेंगे.’’

उन्होंने सदस्यों को आश्वासन दिया, ‘‘हम लंबा धैर्य, लंबे प्रयासों और बड़ी आंकाक्षा करने के मामले पीछे नहीं रहेंगे.’’ उन्होंने कहा कि इस मामले में हम प्रगति कर रहे हैं. पिछले दिनों राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल में की गयी विभिन्न विदेश यात्राओं का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि हमें अपने शीर्ष नेताओं की यात्राओं से काफी लाभ मिला. उन्होंने उदाहरण के तौर पर प्रधानमंत्री मोदी की खाड़ी के तीन देशों की यात्रा का जिक्र किया.

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उन्होंने कहा कि खाड़ी क्षेत्र में हमारे 80 से 90 लाख नागरिक हैं. इन यात्रााओं के दौरान वहां काम कर रहे भारतीय कामगारों के कल्याण एवं सुरक्षा का मुद्दा उठाया गया. उन्होंने कहा कि इन शीर्ष स्तरीय यात्राओं के दौरान सुरक्षा सहित हमारे राष्ट्र से जुड़े अति महत्वपूर्ण हितों पर राजनीतिक समर्थन को भी जुटाया गया. उन्होंने कहा कि यह ऐसा दौर था जब पाकिस्तान ने अनुच्छेद 370 के हमारे आतंरिक मुद्दे को उठाना शुरू किया था. ‘‘इस दौरान राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री की यात्राओं के दौरान विश्व बिरादरी से जो समर्थन मिला, जो समझ बनी, वह काफी महत्वपूर्ण है.’’

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विदेश मंत्री ने कहा कि विदेश नीति का मतलब यही होता है कि ‘‘अपने हितों को आगे बढ़ाया जाए, अपने दृष्टिकोण को समझाया जा सके और हमारे लोगों की देखभाल की जा सके.’’ आतंकवाद के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि इस बारे में संयुक्त राष्ट्र में चर्चा हुई और एक प्रस्ताव भी पारित हुआ. उन्होंने कहा कि हमारे नेताओं की यात्राओं से कई देशों ने आतंकवाद के मुद्दे पर हमारे रुख को समझा और आतंकवाद की गंभीर चुनौती को स्वीकार किया. विदेश मंत्री ने पाकिस्तान को एक ‘‘अनूठा पड़ोसी’’ बताया और कहा कि यह अन्य सभी पड़ोसियों से अलग है.

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किंतु उन्होंने यह भी कहा कि भारत ‘‘पड़ोसी प्रथम’’ की नीति के तहत पाकिस्तान सहित अपने सभी पड़ोसियों के साथ संपर्क कायम करने सहित सभी क्षेत्रों में संबंध और सहयोग बेहतर करना चाहता है. परमाणु मुद्दे पर कांग्रेस के जयराम रमेश द्वारा मांगे गये स्पष्टीकरण पर विदेश मंत्री ने कहा कि सरकार फ्रांस के साथ परमाणु मुद्दे पर बातचीत कर रही है. उन्होंने कहा कि परमाणु संयंत्रों और परमाणु समझौतों को करने में कई वर्षों का समय लग जाता है.

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कुडनकुलम परियोजना के तहत और परमाणु संयंत्र बनाये जाने के बारे में माकपा के टीके रंगराजन द्वारा स्पष्टीकरण मांगे जाने पर उन्होंने कहा कि रूस के साथ कुडनकुलम संयंत्र को लेकर बातचीत चल रही है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने आज ही सदन में आश्वासन दिया कि सरकार अपने परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और सदस्यों को इस आश्वासन पर भरोसा करना चाहिए. विदेश मंत्री ने सदन को आश्वासन दिया कि कुडनकलम परियोजना के बारे में सरकार राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग की सिफारिश का सम्मान करेगी.

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इस आयोग में देश के शीर्ष वैज्ञानिक और परमाणु विशेषज्ञ हैं. जलवायु परिवर्तन के मामले में उन्होंने कहा कि भारत ने पेरिस सम्मेलन सहित विभिन्न मंचों पर काफी सकारात्मक भूमिका निभायी है और उसे आज इस विषय में एक अग्रणी देश के रूप में देखा जाता है. अमेरिका के ह्यूस्टन में ‘‘हाउडी मोदी’’ कार्यक्रम का नाम लिये बिना विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हमने ह्यूस्टन में देखा कि भारतीय समुदाय अमेरिका में एकजुट होकर हमारे साथ खड़ा है. वे भारत के साथ एकुटता दिखाने और भारत में हो रहे बदलावों का समर्थन करने के लिए ह्यूस्टन आये थे. इस संदेश को हमें समझना चाहिए. ’’ उन्होंने कहा कि हमारे अमेरिका की सभी पार्टियों के साथ अच्छे और मजबूत संबंध हैं. अमेरिका के साथ हमारे संबंध बहुत मजबूत आधार पर टिके हैं.