राष्ट्रपति अभिभाषण के दौरान कांग्रेस सहित विपक्षी सदस्यों ने विरोध स्वरूप पहनी काली पट्टी
highlights
- विपक्षी दलों के सदस्य बाहों पर काली पट्टी बांध कर केंद्रीय कक्ष में पहुंचे.
- राष्ट्रपति कोविंद ने संशोधित नागरिकता कानून को ऐतिहासिक करार दिया.
- सत्ता पक्ष के सदस्यों ने मेजें थपथपाकर अभिभाषण का स्वागत किया.
नई दिल्ली:
संसद के बजट सत्र के पहले दिन शुक्रवार को कांग्रेस एवं कई विपक्षी दलों के सदस्य संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति अभिभाषण के दौरान बाहों पर काली पट्टी बांध कर ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष पहुंचे. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के दौरान कांग्रेस और द्रमुक सहित विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्य बाहों पर काली पट्टी बांध कर केंद्रीय कक्ष पहुंचे. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी नेता राहुल गांधी अपनी निर्धारित सीट के बजाय पांचवीं पंक्ति में बैठे हुए थे. अभिभाषण के दौरान कोविंद ने जब संशोधित नागरिकता कानून (CAA) को 'ऐतिहासिक' बताया तो जहां सत्ता पक्ष के सदस्यों ने मेजें थपथपाकर इसका स्वागत किया, वहीं कांग्रेस, द्रमुक आदि विपक्षी दल के सदस्य 'शर्म करो, शर्म करो' के नारे लगा रहे थे.
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तृणमूल कांग्रेस ने दिखाया सफेद कपड़ा
सत्ता पक्ष के सदस्यों ने सौ से अधिक बार मेज थपथपाकर राष्ट्रपति अभिभाषण का स्वागत किया. राष्ट्रपति द्वारा सीएए का जिक्र किए जाने के दौरान सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा काफी देर तक मेजें थपथपाई गयी और विपक्षी सदस्य लगातार नारे लगाते रहे. कुछ समय के लिए तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने एक सफेद कपड़ा दिखाना शुरू किया, जिस पर लिखा था 'नो सीएए', 'नो एनआरसी'. अभिभाषण समाप्त होने के बाद केंद्रीय कक्ष से बाहर निकलते हुए, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने बताया कि आज 14 विपक्षी दलों के सदस्य बांहों पर काली पट्टी बांधकर संयुक्त बैठक में आये थे.
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राष्ट्रपति ने सीएए को बताया ऐतिहासिक
इससे पहले अभिभाषण में राष्ट्रपति ने सीएए सहित विभिन्न मुद्दों पर देश में चल रहे प्रदर्शनों की ओर संकेत करते हुए कहा कि विरोध-प्रदर्शनों के दौरान हिंसा से लोकतंत्र कमजोर होता है. उन्होंने कहा कि देश के लोग खुश हैं कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख को सात दशक बाद देश के बाकी हिस्सों के बराबर अधिकार मिले. कोविंद ने संशोधित नागरिकता कानून को ऐतिहासिक करार देते हुए इसकी सराहना की. उन्होंने कहा कि इसने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सहित देश के निर्माताओं के स्वप्नों को पूरा किया है. भारत ने हमेशा सर्वधर्म समभाव पर विश्वास किया. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि जो लोग पाकिस्तान में नहीं रह सकते, वे भारत आ सकते हैं. हालांकि इस दौरान विपक्षी सदस्यों ने हंगामा करते हुए इसका कड़ा विरोध किया.
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