अंधेरे का फायदा उठाकर नहीं भाग सकेंगे आतंकवादी, अब ड्रोन लाइटिंग सिस्टम से पकड़े जाएंगे
कश्मीर क्षेत्र में जब घेराबंदी करके आतंकियों पर सुरक्षा बल प्रहार करते हैं तब कई बार अंधेरे का फायदा उठाकर आतंकी बचने की कोशिश करते हैं.
नई दिल्ली:
कश्मीर क्षेत्र में जब घेराबंदी करके आतंकियों पर सुरक्षा बल प्रहार करते हैं तब कई बार अंधेरे का फायदा उठाकर आतंकी बचने की कोशिश करते हैं. इसी तरह से उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में प्राकृतिक आपदा के दौरान रात के समय राहत और बचाव ऑपरेशन में बड़ी समस्या आती है, क्योंकि जंगल के क्षेत्र में बिजली और रोशनी मुहैया मुश्किल होती है. ऐसी स्थिति में यह ड्रोन के जरिए एक फुटबॉल जैसे क्षेत्र को रोशन किया जा सकता है, राहत और बचाव से लेकर आतंकी निरोधक ऑपरेशन में इसका फायदा उठाया जा सकता है.
खास बात यह भी है कि इसके जरिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करके राहत और बचाव कार्य में लगी हुई टीम को निर्देश दिए जा सकते हैं. वहीं, आतंकी कार्यवाही के बीच दहशतगर्द को आत्मसमर्पण करने के लिए भी कहा जा सकता है. यह 5 किलोमीटर के दायरे में 45 मिनट तक ऑपरेट किया जा सकता है, जिसमें नाइट विजन डिवाइस भी लगाए जा सकते हैं. इसे ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम और सेटेलाइट के जरिए भी ऐसे स्थानों पर ऑपरेट किया जा सकता है, जहां नेटवर्क या तो मौजूद नहीं है या फिर प्राकृतिक आपदा के कारण नष्ट हो चुके हैं.
सिर्फ डेढ़ किलोग्राम का भार एक व्यक्ति बड़े सेलफोन के आकार के इस उपकरण को आसानी से जम्मू कश्मीर या लद्दाख जैसे दुर्गम भौगोलिक क्षेत्र में प्रयोग कर सकता है, प्रधानमंत्री जैसे वीआईपी सुरक्षा में भी पोर्टेबल स्थिति में इस्तेमाल किया जा सकता है, इसमें एंट्री ड्रोन के लिए 360 डिग्री स्केनिंग और 60 डिग्री का सॉफ्ट किल एंगल है.
भारतीय कंपनी द्वारा इसका ट्रायल डेढ़ किलोमीटर के रेडियस में एक ऐसा सुरक्षा कवच तैयार किया जा सकता है, जिसमें चाहे कितनी भी ड्रोन एक साथ घुसने की कोशिश करें, जिसे तकनीकी भाषा में स्वाम अटैक कहा जाता है, वह एक साथ न्यूट्रलाइज यानी ना काम किए जा सकते हैं. यह एक साथ दर्जनों की संख्या में ड्रोन को नाकाम करने के लिए काफी है.
इसमें मुख्य रूप से दो उपकरण हैं. पहला उपकरण 5 किलोमीटर के इलाके में ड्रोन को डिटेक्ट उसी तरीके से करता है जिस तरीके का काम रेडार से किया जाता है, जबकि दूसरा उपकरण ऐसी तरंगों को भेजता है जिससे रेडियो फ्रिकवेंसी या सैटलाइट फ्रिकवेंसी कट जाती है और ड्रोन या तो जब तक उसकी बैटरी खत्म नहीं हो जाती तब तक वह उसी स्थान पर मंडराता रहेगा या फिर अपने होमबेस में लौट जाएगा.
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