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अमेरिका सहित 16 देशों के राजनयिक आज से जम्मू-कश्मीर के दौरे पर

भारत में अमेरिका के राजदूत केनेथ आई जस्टर सहित 16 देशों के राजनयिक बृहस्पतिवार से जम्मू-कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर जाएंगे. जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा पिछले वर्ष समाप्त किये जाने के बाद राजनयिकों का यह पहला दौरा होगा.

Updated on: 09 Jan 2020, 08:02 AM

दिल्ली:

भारत में अमेरिका के राजदूत केनेथ आई जस्टर सहित 16 देशों के राजनयिक बृहस्पतिवार से जम्मू-कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर जाएंगे. जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा पिछले वर्ष समाप्त किये जाने के बाद राजनयिकों का यह पहला दौरा होगा. दिल्ली से ये राजनयिक बृहस्पतिवार को हवाई मार्ग से श्रीनगर जाएंगे और वहां से वे जम्मू जाएंगे. वे वहां पर उप राज्यपाल जीसी मर्मू के साथ ही नागरिक समाज के लोगों से भी मुलाकात करेंगे. इनमें बांग्लादेश, वियतनाम, नार्वे, मालदीव, दक्षिण कोरिया, मोरोक्को, नाइजीरिया आदि देशों के भी राजनयिक शामिल होंगे.

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अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि ब्राजील के राजनयिक आंद्रे ए कोरिये डो लागो के भी जम्मू कश्मीर का दौरा करने का कार्यक्रम था. यद्यपि उन्होंने यहां अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के चलते दौरे पर नहीं जाने का फैसला किया. ऐसा माना जाता है कि यूरोपीय संघ के देशों के प्रतिनिधियों ने किसी अन्य तिथि पर केंद्र शासित प्रदेश का दौरा करने की बात कही है. यह भी माना जाता है कि इन्होंने पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती से मुलाकात करने की इच्छा जताई है.

अधिकारियों ने बताया कि बृहस्पतिवार को दौरा करने वाले राजनयिक नागरिक समाज के सदस्यों से मुलाकात करेंगे और उन्हें विभिन्न एजेंसियों द्वारा सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी दी जाएगी. उसी दिन राजनयिकों को जम्मू ले जाया जाएगा जहां वे उप राज्यपाल जी सी मुर्मू और अन्य अधिकारियों से मुलाकात करेंगे.

सूत्रों ने बताया कि कई देशों के राजनयिकों ने भारत सरकार से अनुरोध किया था कि अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटने के बाद की स्थिति का जायजा लेने के लिए कश्मीर का दौरा करने की अनुमति दी जाए. इस कदम से भारत को कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के दुष्प्रचार को ध्वस्त करने में मदद मिलेगी.

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भारत ने पी-पांच देशों और विश्व के सभी देशों की राजधानियों से संपर्क कर अनुच्छेद 370 के प्रावधान निरस्त करने के निर्णय पर अपना मत रखा था. इससे पहले दिल्ली के एक थिंक टैंक द्वारा यूरोपीय संघ के 23 सांसदों के शिष्टमंडल को जम्मू-कश्मीर का दो दिवसीय दौरे पर ले जाया गया था. हालांकि सरकार ने उसे निजी दौरा बताया था.