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वोटर कार्ड को आधार से लिंक करने की याचिका पर कोर्ट ने चुनाव आयोग से फैसले लेने को कहा

बीजेपी नेता आश्‍विनी उपाध्‍याय ने ई-वोटिंग प्रणाली के लिए भी सुझाव दिया, जो फर्जी मतदान और नकल को खत्म करने के लिए फिंगरप्रिंट और चेहरे के बायोमेट्रिक्स का उपयोग करेगी.

Updated on: 17 Jul 2019, 07:45 AM

नई दिल्‍ली:

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को फर्जी मतदान पर रोक लगाने के लिए आधार कार्ड के साथ चुनाव पहचानपत्र को जोड़ने की याचिका का निपटारा किया. मुख्य न्यायाधीश डी.एन. पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ ने भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए चुनाव आयोग से इस मामले पर आठ सप्ताह के अंदर निर्णय लेने को कहा.

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मौजूदा चुनाव प्रणाली में पारदर्शिता का अभाव बताते हुए कई राजनीतिक पार्टियां सत्तारूढ़ भाजपा सरकार को घेरती आई हैं. भाजपा नेता की इस याचिका में आधार कार्ड पर आधारित मतदान प्रणाली को लागू करने की मांग की गई है.

उपाध्याय ने एक ई-वोटिंग प्रणाली के लिए भी सुझाव दिया, जो फर्जी मतदान और नकल को खत्म करने के लिए फिंगरप्रिंट और चेहरे के बायोमेट्रिक्स का उपयोग करेगी.

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याचिका में कहा गया है, "इस प्रणाली में चुनाव से पहले हर बार डेटाबेस को अपडेट किया जाएगा. मुख्य लाभ यह है कि मतदान प्रक्रिया बहुत तेज होगी और अधिकतम काम सिस्टम की ओर से अपने आप स्वचालित रूप से किए जाएंगे."