दिल्ली हाई कोर्ट ने अगले आदेश तक दिल्ली में पेड़ों की कटाई पर लगाई रोक
दिल्ली में 16,500 पेड़ों की कटाई पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा कि अगले आदेश तक दक्षिणी दिल्ली में पेड़ों की कटाई पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा रहेगा।
नई दिल्ली:
दिल्ली में 16,500 पेड़ों की कटाई पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा कि अगले आदेश तक दक्षिणी दिल्ली में पेड़ों की कटाई पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा रहेगा।
कोर्ट ने यह भी कहा कि भविष्य में भी इस तरह की मंजूरी नहीं दी जाएगी।
हाई कोर्ट ने कहा कि जरूरत पड़ने पर ईस्ट किदवई नगर को गिराया जाएगा क्योंकि यह अव्यवस्थित मालूम होता है और आबादी का घनत्व भी नहीं हैं और पड़ोस के अस्पतालों पर भी असर नहीं होगा।
इसके अलावा दिल्ली हाई कोर्ट ने पेड़ों की कटाई से संबंधित याचिका पर डीडीए (दिल्ली विकास प्राधिकरण), एनबीसीसी (राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम), केंद्र और दिल्ली सरकार से विस्तृत जवाब मांगा है।
हाई कोर्ट ने डीडीए और एनबीसीसी को कहा है कि पुनर्विकास के अर्थ को स्पष्ट करते हुए एक विस्तृत जवाब फाइल करें।
इससे पहले राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने भी पेड़ो की कटाई पर 19 जुलाई तक रोक लगाते हुए कहा था कि पेड़ों की कटाई से बहुत नुकसान होगा और इससे पर्यावरण को क्षति पहुंचेगी।
दक्षिणी दिल्ली की कॉलोनियों में पेड़ों की कटाई के खिलाफ आम लोगों और पर्यावरणविदों के विरोध प्रदर्शन और विभिन्न याचिकाओं के बाद कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी।
जस्टिस विनोद गोयल और जस्टिस रेखा पल्ली की एक बेंच ने एनबीसीसी को चार जुलाई की सुनवाई तक पेड़ों को नहीं काटने का निर्देश दिया था।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने दक्षिण दिल्ली की छह कॉलोनियों के पुनर्विकास के लिए 16,500 पेड़ों की कटाई की स्वीकृति दी थी। जिसमें कई पेड़ हाई कोर्ट के आदेश से पहले काटे जा चुके थे।
याचिकाकर्ता ने पर्यावरण मंत्रालय द्वारा परियोजना को दी गई पर्यावरण मंजूरी व संदर्भ शर्तों को रद्द करने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि इससे 16,500 से ज्यादा पेड़ों को काटना होगा।
कौशल कांत मिश्रा की याचिका में कहा गया है कि दक्षिण दिल्ली की छह कॉलोनियों में जहां पेड़ों को काटा जाना है, उनमें सरोजनी नगर, नौरोजी नगर, नेताजी नगर, त्यागराज नगर, मोहम्मदपुर व कस्तूरबा नगर शामिल हैं।
इन सभी इलाकों में सरकारी कर्मचारियों के लिए घर हैं, जहां केंद्र सरकार 1950 में बनाए गए घरों को गिरा रही है और उन्हें ऊंची इमारतों में बदल रही है।
एनबीसीसी के अलावा परियोजना को केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) भी क्रियान्वित कर रहा है।
एनबीसीसी ने हालांकि 16,500 पेड़ों की संख्या के आंकड़े का विरोध किया और कहा कि 'ये संख्या अफवाह पर आधारित है, यह सही नहीं है।'
एनबीसीसी के अनुसार, दिल्ली के दक्षिणी क्षेत्र में तीन आवासीय कॉलोनियों के पुनर्विकास के अंतर्गत 25,000 नए फ्लैट और 70,000 वाहनों के पार्किंग के निर्माण के लिए लगभग 13,000 पेड़ों की कटाई की जानी है।
और पढ़ें: SC के फैसले पर अरविंद केजरीवाल ने कहा- जनता की जीत, लोकतंत्र की जीत
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