किंग से किंगमेकर की भूमिका में आई कांग्रेस, क्या खिसक रही राजनीतिक जमीन?
कभी देशभर में एक छत्र राज करने वाली कांग्रेस अब किंग से किंगमेकर की भूमिका में आ गई है.
highlights
- 2013 में कांग्रेस ने दिल्ली में अरविंद केजरीवाल को समर्थन दे बनाई थी आम आदमी पार्टी की सरकार
- कर्नाटक में दिया था अधिक सीटें जीतने के बाद भी जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी को बनाया मुख्यमंत्री
- महाराष्ट्र में अपने धुर विरोधी रही शिवसेना को दिया समर्थन, उद्धव ठाकरे को बनाया मुख्यमंत्री
मुम्बई:
कभी देशभर में एक छत्र राज करने वाली कांग्रेस अब किंग से किंगमेकर की भूमिका में आ गई है. धीरे-धीरे उसकी राजनीतिक जमीन खिसकती जा रही है. हालत है कि जिन राज्यों में कभी उसकी सरकार होती थी वहां अब वह किंगमेकर की ही भूमिका से संतोष कर रही है. राजनीतिक जानकार इसे कांग्रेस के लिए अच्छा संकेत नहीं मान रहे हैं. बीजेपी को सत्ता को दूर रखने के लिए कांग्रेस भले ही कामयाब हो गई हो लेकिन असल हकीकत यह है कि कांग्रेस कई राज्यों में सिर्फ किंग मेकर ही रह गई है. कांग्रेस की हालत यह हो गई है कि वह अपने से कम सीटें जीतने वाली पार्टी का भी मुख्यमंत्री बनाने के लिए तैयार होने लगी है.
दिल्ली में दिया था केजरीवाल को समर्थन
दिल्ली में लगातार 15 साल तक कांग्रेस की शीला दीक्षित मुख्यमंत्री रहीं. 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 31 सीट मिली जबकि आम आदमी पार्टी को 28 सीट मिली. इस चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की लगातार 15 साल तक मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित को करारी शिकस्त दी. चुनाव में किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला. दिल्ली में बीजेपी को सरकार से दूर रखने के लिए कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को समर्थन दे अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री बना दिया. हालांकि यह सरकार दो महीने भी नहीं चल सकी और अरविंद केजरीवाल ने जनलोक बिल के मुद्दे को लेकर इस्तीफा दे दिया. इसका नतीजा यह हुआ कि 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का दिल्ली से पता साफ हो गया.
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कर्नाटक में बनाई थी जेडीएस की सरकार
2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी बहुमत से कुछ ही पीछे रह गई. 224 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी को 104 सीटें मिली. कांग्रेस ने इस मौके को भुनाने के लिए जनता दल (सेक्युलर) के नेता एचडी कुमारस्वामी को समर्थन दे उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया. हैरानी की बात यह थी कि चुनाव में कांग्रेस को 80 और जेडीएस को महज 37 सीटें ही मिली थी. अपने से आधे से भी कम सीटें जीतने वाली पार्टी का कांग्रेस ने समर्थन दे मुख्यमंत्री बना दिया. हालांकि कांग्रेस और जेडीएस के मतभेद कुछ ही समय में सामने आ गए. हालत यह हो गई कि सरकार सिर्फ 14 महीने ही चल सकी. इसके बाद बीजेपी कर्नाटक में सत्ता की सीट पर बैठ गई.
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महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे को बनाया मुख्यनमंत्री
2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बड़ा सियासी उलटफेर हुआ है. बीजेपी ने यहां शिवसेना के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा. चुनाव में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिलीं. बीजेपी और शिवसेना आसानी से बहुमत की सरकार बना सकते थे लेकिन मुख्यमंत्री पद की मांग को लेकर शिवसेना और बीजेपी के बीच तल्खी आ गई. नतीजा यह हुआ कि शिवसेना ने बीजेपी के साथ बिना सीएम पद दिए सरकार बनाने से इंकार कर दिया. कांग्रेस ने मौके को भांपते हुए शिवसेना को समर्थन दे दिया. महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली. हालांकि सरकार बनने के साथ ही कांग्रेस और शिवसेना में मतभेद उभर कर सामने आने लगे हैं.
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क्या कांग्रेस की खिसक रही राजनीतिक जमीन?
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि कभी देश की सबसे बड़ी पार्टी रही कांग्रेस आज कई राज्यों में अपनी कांग्रेस तलाशती नजर आ रही है. बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए उसने कई ऐसे राजनीतिक दलों को समर्थन दिया जो कभी उसके घोर विरोधी होते थे. दिल्ली में केजरीवाल सरकार को समर्थन इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. वहीं महाराष्ट्र में भी अब स्थिति ऐसी ही हो गई है. किंग से किंग मेकर पर ही संतोष करने वाली कांग्रेस का आधार लगातार कमजोर हो रहा है.
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