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Chandrayaan-3: चंद्रयान- 3 के लिए आज का दिन अहम, लैंडर-प्रोपल्शन मॉड्यूल होंगे अलग, अगले हफ्ते चांद पर लैंडिंग

Chandrayaan-3: बुधवार को इसने ने ट्वीट कर कहा कि, आज की सफल फायरिंग (जो थोड़े समय के लिए आवश्यक थी) ने चंद्रयान-3 को चंद्रमा की 153 किमी x 163 किमी की कक्षा में स्थापित कर दिया. चंद्रयान-3 ने चांद की ओर बढ़ने के सभी प्रवेश चरण पूरे कर लिए हैं.

Updated on: 17 Aug 2023, 12:18 PM

highlights

  • चंद्रयान-3 के लिए आज का दिन अहम
  • प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर आज होंगे अलग
  • 23 अगस्त को चांद की सतह पर होगी लैंडिंग

New Delhi:

Chandrayaan-3: भारत के चंद्रयान-3 के लिए आज का दिन काफी अहम है. क्योंकि आज चंद्रयान के लैंडर और प्रोपल्शन मॉड्यूल चांद पर लैंडिंग के लिए अलग हो जाएंगे. उसके बाद 23 अगस्त को इसकी चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी. इससे पहले बुधवार को चंद्रयान-3 की चौथी बार कक्षा बदली गई. इसी के साथ चंद्रयान-3 चंद्रमा की कक्षा में पांचवें और अंतिम चरण में सफलतापूर्वक प्रवेश कर गया था. जिसके बाद ये चंद्रमा की सतह के और भी करीब पहुंच गया और इसके साथ ही अंतरिक्षयान ने चंद्रमा से जुड़ी अपनी सभी गतिविधियों को भी पूरा कर लिया. अब बारी लैंडर और प्रोपल्शन मॉड्यूल को अलग करने की है. उसके बाद इसे चांद की सतह पर लैंड कराया जाएगा.

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बुधवार को इसने ने ट्वीट कर कहा कि, आज की सफल फायरिंग (जो थोड़े समय के लिए आवश्यक थी) ने चंद्रयान-3 को चंद्रमा की 153 किमी x 163 किमी की कक्षा में स्थापित कर दिया. चंद्रयान-3 ने चांद की ओर बढ़ने के सभी प्रवेश चरण पूरे कर लिए हैं. गुरुवार को चंद्रयान से लैंडर और प्रोपल्शन मॉड्यूल अलग होंगे. बता दें कि प्रोपल्शन और लैंडर मॉड्यूल में लैंडर और रोवर भी शामिल है.

14 जुलाई को हुआ चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण

बता दें कि 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया. उसके बाद चंद्रयान-3 बीते तीन हफ्तों में चांद पर पहुंचने के कई चरणों को पार कर चुका है. चंद्रयान ने पहली बार पांच अगस्त को चांद की कक्षा में प्रवेश किया. इसके बाद 6, 9 और 14 अगस्त को चंद्रयान-3 अलग-अलग चरण में प्रवेश कर गया. इन तीन हफ्तों के दौरान भाततीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने चंद्रयान-3 को पृथ्वी से बहुत दूर स्थित कक्षाओं में स्थापित कर दिया.

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स्पीड कम कर कराई जाएगी सॉफ्ट लैंडिंग

गुरुवार को लैंडर-प्रोपल्शन मॉड्यूल के अलग होने के बाद इसकी स्पीड को कम करना शुरू किया जाएगा. जिससे वह चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कर सके. लैंडर की गति को कम करने की प्रक्रिया को डीबूस्ट कहा जाता है. इस प्रक्रिया को पेरिल्यून (चंद्रमा से निकटतम बिंदु) 30 किमी और अपोल्यून (चंद्रमा से सबसे दूर का बिंदु) 100 किमी दूर से शुरू किया जाना है. इसके बाद 23 अगस्त को लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा.