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2024 से पहले चेहरे की जंग, कांग्रेस की हार के बाद इंडिया गठबंधन की अग्नि परीक्षा शुरू

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की करारी हार ने एक बार फिर से इंडिया गठबंधन के नेतृत्व पर सवाल खड़ा कर दिया है. हिंदी हार्ट लैंड में कांग्रेस की शिकस्त के बाद सवाल खड़े होने लगे हैं कि 2024 में विपक्ष का चेहरा कौन होगा.

Updated on: 04 Dec 2023, 05:51 PM

नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की करारी हार ने एक बार फिर से इंडिया गठबंधन के नेतृत्व पर सवाल खड़ा कर दिया है. हिंदी हार्ट लैंड में कांग्रेस की शिकस्त के बाद सवाल खड़े होने लगे हैं कि 2024 में विपक्ष का चेहरा कौन होगा. इंडिया गठबंधन का नेतृत्व कौन करेगा. क्योंकि तीनों राज्यों में राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई है और मध्य प्रदेश में उम्मीदों पर पानी फिर गया. ऐसे में एक और सवाल खड़ा हो रहा है कि अब इंडिया गठबंधन का नेतृत्व कौन करेगा. कांग्रेस की करारी हार के बाद इंडिया गठबंधन की असली परीक्षा भी शुरू हो गई है.  पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले एक वक्त ऐसा भी आया जब लगा कि क्या इंडिया गठबंधन का मुखिया राहुल गांधी होंगे. दबी जुबान से कांग्रेस ने इसके संकेत भी दिए थे. लेकिन इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला. फिर नीतीश कुमार को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया. ऐसा इसलिए कि 2023 में जब इंडिया गठबंधन अस्तित्व में आया है तब से यह चर्चा चल रही थी कि नीतीश कुमार को इसका संयोजक बनाया जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इंडिया गठबंधन की कई बैठकें आयोजित हुई उसमें भी नीतीश कुमार के नाम को लेकर कोई ऐलान नहीं हुआ. एक तरह से कहे तो नीतीश कुमार को साइड लाइन कर दिया गया.

ममता ने भी बैठक से बनाई दूरी

अब कांग्रेस तीन राज्यों चुनाव हार गई तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 6 दिसंबर को दिल्ली में विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है. इसमें नीतीश कुमार के आने की संभावना है, लेकिन नीतीश कुमार पिछले 10 दिन से बीमार चल रहे हैं. उनके आने की संभावना कम ही दिख रही है. वहीं, इस बैठक से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी दूरी बनाई है. 6 दिसंबर को इंडिया अलायंस के  मीटिंग को लेकर ममता बनर्जी ने कहा अभी तक कांग्रेस इसको लेकर कोई निमंत्रण नहीं दिया है.  पार्टी तय करेगी जाना है या नहीं जाना है. इससे साफ जाहिर है कि ममता बनर्जी भी इसमें शामिल नहीं हो रही है. 

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कांग्रेस से नाराज हैं नीतीश कुमार

पिछले महीने पटना में भाकपा की रैली में नीतीश कुमार ने कांग्रेस के खिलाफ नाराजगी जताई थी. नीतीश ने चेतावनी दी थी कि 2024 में बीजेपी से लड़ने के लिए बनाया गया इंडिया गठबंधन कमजोर हो रहा है. क्योंकि गठबंधन की अगुवाई करने वाली कांग्रेस का पूरा ध्यान पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव लड़ने पर फोकस है. नीतीश यही नहीं रुके उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी चुनाव लड़ने में इतना व्यस्त है कि गठबंधन की बैठक बुलाने तक फुसर्त नहीं है. नीतीश कुमार की नाराजगी की बात राजद सुप्रीमो लालू यादव ने कांग्रेस के आलाकमान तक पहुंचाई थी. हालांकि, बाद में कांग्रेस के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नीतीश कुमार से बात कर मामले को शांत किया था, लेकिन अब तीन राज्यों में कांग्रेस की हार के बाद तो नीतीश कुमार की नाराजगी सातवें आसमान पर है. हिंदी पट्टी में बीजेपी की प्रचंड बहुमत मिलने पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने भी हैरानी जताई. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं थी परिणाम ऐसे आ सकते हैं. 

कांग्रेस के हाथ से छूटा सहयोगी दलों का साथ

 जनता दल यूनाइटेड और टीएमसी जैसे क्षेत्रीय दलों को साइड लाइन कर पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस अकेले चुनाव मैदान में उतरी थी. कांग्रेस के इस फैसले से नीतीश कुमार और ममता बनर्जी या अन्य सहयोगी खुश नहीं हैं. जनता दल (यू) और समाजवादी पार्टी तो मध्य प्रदेश में चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन करने की इच्छा भी जताई थी, लेकिन कांग्रेस ने दोनों क्षेत्रीय दलों को भाव नहीं दिया. नतीजा मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने 74 सीटों पर चुनाव लड़ा जबकि जनता जल यूनाइटेड ने 9 सीटों पर प्रत्याशी उतारे. दोनों पार्टियों का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा. ऐसे में इंडिया गठबंधन के तहत आने वाले दलों के प्रमुख कांग्रेस से खफा है. 

गठबंधन की बैठक में तय होना है सीटों का समीकरण
इंडिया गठबंधन में अब तक लोकसभा चुनाव की सीटों को लेकर कोई समीकरण तय नहीं हुआ है. कांग्रेस ने पांच राज्यों के चुनाव का हवाला देते हुए सीट बंटवारों की बात को टाल दिया था वहीं, अब विधानसभा चुनावों के परिणाम आने के बाद 6 दिसंबर को मल्लिकार्जुन खड़गे ने बैठक बुलाई है. लेकिन इस बैठक में ना तो ममता बनर्जी आ रही है और ना ही नीतीश कुमार के आने की संभावना है. ऐसे में इंडिया गठबंधन के लिए यह समय अग्नि परीक्षा से कम नहीं है.