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अयोध्‍या विवाद : क्‍या समझौता ही एकमात्र रास्‍ता है?

अयोध्‍या विवाद की आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई है. इस मामले की सुनवाई कर रही संविधान पीठ मध्‍यस्‍थता को लेकर कोई आदेश दे सकती है.

Updated on: 06 Mar 2019, 08:58 AM

नई दिल्ली:

अयोध्‍या विवाद की आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई है. इस मामले की सुनवाई कर रही संविधान पीठ मध्‍यस्‍थता को लेकर कोई आदेश दे सकती है. मामला दो धर्मों की पूजा-अर्चना से जुड़ा हुआ है. संविधान पीठ ने कहा था कि मुख्य मामले की सुनवाई शुरू होने तक आपसी समझौते से विवाद सुलझाने का प्रयास हो सकता है. रामलला विराजमान और हिन्दू महासभा ने इस पर विरोध जताया था, जबकि मुस्लिम पक्ष और सुन्नी वक्फ बोर्ड बातचीत करने को तैयार हो गए थे.

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क्‍या कहती है दीवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 89

दीवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 89 कहती है कि कोर्ट जमीनी विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने को कह सकता है. जानकार बताते हैं कि अगर कोई पक्ष समझौते से तैयार नहीं होता तो अदालत लंबित याचिका पर सुनवाई करेगा.


निर्मोही अखाड़ा

निर्मोही अखाड़ा इस मामले को सुलझाने के लिए बातचीत करने के लिए तैयार है. अखाड़े के वकील का कहना है कि वो बातचीत के लिए तैयार हैं.

मुस्लिम पक्ष

मुस्लिम पक्ष की तरफ से 26 फरवरी को सुनवाई के दौरान पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन और दुष्यंत दवे ने कहा था कि वो बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन बातचीत रिकॉर्ड हो और उसकी गोपनीयता बनी रहनी चाहिए.

रामलला विराजमान

रामलला विराजमान के वकील सीएस वैधनाथन इस मामले को बातचीत से सुलझाने को तैयार नहीं हैं. सीएस वैधनाथन ने 26 फरवरी को कहा था कि इस मसले को अदालत के बाहर आपसी सहमति से सुलझाने की कई बार कोशिश की गई, लेकिन सहमति नहीं बन पाई. ऐसे में कोर्ट इस मामले की अंतिम सुनवाई शुरू करे.

अखिल भारत हिन्दू महासभा

अखिल भारत हिन्दू महासभा के वकील हरि शंकर जैन कहते हैं, इस मामले को बातचीत से नहीं सुलझाया जा सकता. उनका तर्क है कि पहले भी कई बार बातचीत से विवाद को हल करने की कोशिश की गई थी. अयोध्या राम जन्मभूमि में एक टुकड़ा भी मुस्लिम पक्ष को नहीं दिया जा सकता.

कब-कब प्रयास किए गए

1993-94 में केंद्र सरकार ने प्रयास किया था. अखिल भारत हिन्दू महासभा के वकील हरि शंकर जैन के मुताबिक, इस मसले को अदालत के बाहर सुलझाने के कई बार प्रयास किए गए. 1994 में केंद्र सरकार ने इस मामले में पहल करते हुए सभी पक्षों को आपसी सहमति से विवाद को सुलझाने को कहा था. तब बातचीत के कई दौर चले, लेकिन सहमति नही बन पाई थी.

लखनऊ हाईकोर्ट ने आपसी सहमति से विवाद को सुलझाने का प्रयास किया

लखनऊ हाई कोर्ट ने इस मामले में आपसी सहमति से मामले को सुलझाने का प्रयास किया. हरि शंकर जैन के मुताबिक, हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को बुलाकर इस मामले को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन वहां भी सहमति नहीं बन पाई.

रमेश चंद्र त्रिपाठी ने आपसी सहमति से सुलझाने की मांग की

इसी बीच रमेश चंद्र त्रिपाठी ने 2010 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी. रमेश चन्द्र त्रिपाठी ने दीवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 89 के तहत विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने की मांग की. लेकिन उस समय भी आपसी सहमति से मामले का निपटारा नही हो पाया.

मार्च 2017 सुप्रीम कोर्ट ने जब पहल की

तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर ने कहा था कि ये मामला धर्म और आस्था से जुड़ा है और ये बेहतर होगा कि इसको दोनों पक्ष आपसी बातचीत से सुलझाएं. जस्टिस खेहर ने कहा था मुद्दा कोर्ट के बाहर हल किया जाए तो बेहतर होगा. अगर ऐसा कोई हल ढूंढने में वे नाकाम रहे तो कोर्ट हस्तक्षेप करेगा. जस्टिस खेहर ने ये तब कहा जब बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी अर्जी पर जल्द सुनवाई की मांग की थी. हालांकि, बाद में कोर्ट को ये बताया गया कि स्वामी इस मामले में मुख्य पक्षकार नहीं है. उसके बाद कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई पक्ष आपसी समझौते से विवाद को हल करने के लिए आएगा तो वो पहल करेंगे.

अगस्त 2017 शिया वक्फ बोर्ड ने कहा विवादित जमीन पर राम मंदिर बने

इसी बीच शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि विवादित जमीन पर वो अपना दावा छोड़ने के लिए तैयार हैं और वो चाहते हैं कि विवादित जमीन पर राममंदिर बने. हालांकि, उन्होंने अपने हलफनामे में ये भी कहा कि लखनऊ के शिया बहुल इलाके में उन्हें मस्जिद बनाने की जगह दी जाए. हालांकि, इस हलफनामे का बाबरी मस्जिद ऐक्शन कमिटी ने विरोध किया था और कहा था शिया वक्फ बोर्ड इस मामले में मुख्य पक्षकार नहीं है और कानून की नजर में उनके हलफनामे की कोई अहमियत नही है.


आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने की पहल

अक्टूबर 2017 आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने भी विवाद को आपसी सहमति से हल करने के लिए प्रयास किये. इस संबंध में श्री श्री रविशंकर ने सभी पक्षों से मुलाकात की लेकिन बात नहीं बन पाई.

अयोध्‍या विवाद की आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई है. इस मामले की सुनवाई कर रही संविधान पीठ मध्‍यस्‍थता को लेकर कोई आदेश दे सकती है.