अमित शाह बोले, 1947 के शरणार्थियों को स्वीकारा तभी प्रधानमंत्री बने मनमोहन सिंह
नागरिकता संशोधन बिल पर बहस के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि इस बिल में किसी के साथ अन्याय होने की बात पूरी तरह से गलत है.
नई दिल्ली:
नागरिकता संशोधन बिल पर बहस के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि इस बिल में किसी के साथ अन्याय होने की बात पूरी तरह से गलत है. किसी के साथ अन्याय होने का आरोप गलत और निराधार है. नागरिकता बिल हमारे घोषणा पत्र के मुताबिक है. इस बिल के लागू होने के बाद 70 सालों से जिन्हें न्याय नहीं मिला उन्हें नागरिकता बिल से न्याय मिलेगा. अमित शाह ने कहा कि भारत ने शरणार्थियों को हमेशा स्वीकार किया है. भारत ने न सिर्फ उन्हें सम्मान दिया बल्कि ऊंचे पदों तक भी पहुंचाया है.
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मनमोहन सिंह और आडवाणी भी शरणार्थी
अमित शाह ने कहा भारत के विभाजन के दौरान देश से सच्चे दिल से शरणार्थियों को स्वीकार दिया. मननोहन सिंह और लालकृष्णा आडवाणी इसके उदाहरण हैं. देश ने उन्हें प्रधानमंत्री और उपप्रधानमंत्री जैसे पद पर बैठाया. अमित शाह ने कहा कि न तो यह बिल किसी से खिलाफ है और न ही इस बिल के लागू होने के बाद किसी के खिलाफ कोई अत्याचार होगा.
'भेदभाव साबित हुआ तो बिल वापस ले लूंगा'
अमित शाह ने कहा कि इस से किसी के साथ ही भेदभाव नहीं होगा. उन्होंने विपक्षी दलों को जवाब देते हुए कहा कि अगर इस बिल से किसी के साथ भी भेदभाव हुआ तो बिल वापस से लूंगा. इस बिल से किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है.
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धार्मिक आधार पर हुआ देश का विभाजन
अमित शाह ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए बंटवारे का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर किया गया. उसके लिए कांग्रेस जिम्मेदार है. कांग्रेस ने अगर धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं किया होता तो आज यह नहीं होता. पड़ोसी देशों में मुसलमानों के खिलाफ धार्मिक प्रताड़ना नहीं होती है, इसलिए इस बिल का लाभ उन्हें नहीं मिलेगा.
बांग्लादेश के लोगों को नागरिकता दी तो पाकिस्तान को क्यों नहीं?
अमित शाह ने कांग्रेस पर तीखा हमल बोलते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के फैसलों की याद दिलाई. उन्होंने कांग्रेस से सवाल पूछा कि 1971 में इंदिरा गांधी ने निर्णय किया था कि बांग्लादेश से जितने लोग आए हैं, सारे लोगों को नागरिकता दी जाए, तो फिर पाकिस्तान से आए लोगों को क्यों नहीं दिया गया? उन्होंने कहा कि सदन के नियम 72(1) के हिसाब से यह बिल किसी भी आर्टिकल का उल्लंघन नहीं करता है.
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नेहरू लियाकत समझौते का नहीं हुआ पालन
अमित शाह ने कहा कि 1950 में नेहरू-लियाकत समझौता हुआ. इसमें दोनों देशों ने तय किया था वह अपने यहां अल्पसंख्यकों के संरक्षण देंगे.
भारत में तो इसका गंभीरता से पालन हुआ, लेकिन पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की क्या हालत है वह पूरी दुनिया जानती है. भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख ईसाई, इन सभी धर्मावलंबियों के खिलाफ धार्मिक प्रताड़ना हुई है.
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