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S-400 करार के बाद भारत जारी रख सकता है ईरान से तेल आयात, अमेरिका ढूंढ रहा ईरानी तेल का विकल्प

नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने साफ कहा कि US प्रतिबंधों का मकसद हमारे सहयोगी देशों की सैन्य क्षमताओं को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है।

Updated on: 05 Oct 2018, 11:45 PM

नई दिल्ली:

अमेरिका की ओर से प्रतिबंध लगाने की धमकी को दरकिनार करते हुए भारत ने रूस के साथ S-400 ट्रियंफ एयर डिफेंस डील पर हस्ताक्षर कर इस सौदे को अंतिम रूप दे दिया. वहीं डील के फाइनल होते ही अमेरिका के भी सुर बदल गए और अपने रवैये में नरमी लाते हुए अमेरिका ने कहा कि उसकी ओर से लगाए जानेवाले प्रतिबंध वास्तव में रूस को दंडित करने के लिए है.

नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने साफ कहा कि US प्रतिबंधों का मकसद हमारे सहयोगी देशों की सैन्य क्षमताओं को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है.

वहीं रूस से डील फाइनल करने के बाद भारत अब तेल खरीदारी को लेकर बड़ा फैसला ले सकता है. भारत ने साफ संकेत दिया है कि वह अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भी ईरान के साथ कारोबार को जारी रखेगा. सरकारी रिफाइनर्स ने ईरान से 1.25 मिलियन टन क्रूड ऑइल खरीदने के लिए अनुबंध किया है.

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इतना ही नहीं, भारत ने ईरान के साथ डॉलर की जगह रुपये में कारोबार करने की दिशा में भी कदम बढ़ाने की तैयारी कर ली है. वहीं अमेरिका, भारत और इराक जैसे देशों के लिए ईरानी तेल का विकल्प खोजने के लिए अतिरिक्त प्रयास कर रहा है.

व्हाइट हाउस ने गुरुवार को कहा कि उसने ईरान से तेल खरीदने वाले सभी देशों को फिर से चेतावनी दी है कि 4 नवंबर तक वे ईरान से तेल आयात बिल्कुल बंद करें या अमेरिका के प्रतिबंधों का सामना करने के लिए तैयार रहें.

अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने यहां व्हाइट हाउस में एक संवाददाता सम्मेलन में संवाददाताओं से कहा, ‘मैंने (ईरानी तेल की खरीदारी को लेकर भारतीय अधिकारियों के साथ) बातचीत की. (ट्रंप) प्रशासन के अन्य अधिकारियों ने भी वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों से बातचीत की है.’

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बोल्टन ने पिछले महीने यहां अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल से मुलाकात की थी. उसके हफ्ते भर पहले ही नई दिल्ली में 2+2 वार्ता हुई थी.

बोल्टन ने कहा कि ट्रंप प्रशासन ने ईरान को लेकर भारत के सामने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है.

उन्होंने कहा,‘एक और चीज जो मुझे लगता है कि वह महत्वपूर्ण है, चाहे वह इराक हो या भारत या कोई और देश हो - विशेष रूप से जो ईरानी तेल का खरीददार रहा है - हम उनके लिए कहना चाहेंगे कि हम तेल के वैकल्पिक विक्रेता ढूढ़ने का पूरा प्रयास कर रहे हैं ताकि बाजार मूल्यों पर तेलों की वैकल्पिक आपूर्ति हो सके.'

बोल्टन के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन का मकसद 4 नवंबर को ईरान पर फिर से नया प्रतिबंध लगाकर वहां की सरकार पर अधिकतम दबाव डालना है.

उन्होंने कहा कि हमारा मकसद साफ है कि ईरान पर लगे प्रतिबंधों में ढील नहीं दी जाएगी और उसके तेल और गैस के निर्यात को ठप कर देना है.