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वायुसेना के वाइस चीफ ने राफेल की वकालत की, डील की आलोचना पर दिया ये जवाब

भारतीय वायुसेना के वाइस चीफ एयर मार्शल शिरीष बाबन देव ने बुधवार को यहां कहा कि आईएएफ सुंदर और सक्षम राफेल लड़ाकू विमान का इंतजार कर रही है।

Updated on: 05 Sep 2018, 11:59 PM

नई दिल्ली:

भारतीय वायुसेना के वाइस चीफ एयर मार्शल शिरीष बाबन देव ने बुधवार को यहां कहा कि आईएएफ सुंदर और सक्षम राफेल लड़ाकू विमान का इंतजार कर रही है। वायुसेना के वाइस चीफ ने यहां एक कार्यक्रम से अलग संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि जो लोग विमान के खिलाफ बोल रहे हैं, उन्हें फ्रांस की दसां एविएशन द्वारा विनिर्मित इस उन्नत विमान के बारे में जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा, 'वास्तव में मुझे टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, लेकिन मैं आप से कह सकता हूं..ये सभी चर्चा और राफेल के बारे में जो भी बातें कही जा रही हैं, ये सब इसलिए क्योंकि हमें इस बारे में ढेर सारी जानकारी है कि सबकुछ कैसे हुआ। हमें लगता है कि लोगों को जानकारी नहीं है।'

वाइस चीफ ने कहा, 'और आप जानते हैं कि मुझे बोलना नहीं चाहिए। मैं जानकारी देने के लिए अधिकृत नहीं हूं। इसलिए हम सिर्फ गोलमटोल बता रहे हैं। और इस तरह की चीजें नहीं हैं, हम विमान के आने का इंतजार कर रहे हैं। यह एक सुंदर विमान है। बहुत सक्षम विमान है और इसमें वह दक्षता है, जिसकी हमें तत्काल आवश्यकता है।' थोड़ा विस्तार से बताने का आग्रह करने पर वाइस चीफ ने कहा कि उन्हें जितना कहना था, कह दिया। उन्होंने कहा, 'मैं समझता हूं कि मैंने खुद को बिल्कुल स्पष्ट कर दिया। आपको अब डीपीपी जाननी है, ऑफसेट के बारे में जानना है और जैसी चीजें हैं उसके बारे में जानना है।'

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राफेल दो इंजिन वाला एक बहुभूमिका वाला लड़ाकू विमान है, जो कथित तौर पर एक ही मिशन में हवाई रक्षा और जमीन पर हमले करने में सक्षम है। वाइस चीफ की राफेल के बारे में यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब कांग्रेस लगातार मोदी सरकार पर इस रक्षा सौदे में वित्तीय अनियमितता में संलिप्त होने का आरोप लगा रही है। भारत ने फ्रांस के साथ सितंबर 2016 में 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए एक अंतर सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इन विमानों की कुल कीमत लगभग 58,000 करोड़ रुपये है। विमानों की आपूर्ति सितंबर 2019 से शुरू होनी है।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का आरोप है कि इन लड़ाकू विमानों की खरीद के सौदे से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है, क्योंकि संप्रग सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की तुलना में विमानों की काफी कम कीमत तय की थी।