त्रिपुरा की जनजातीय पार्टियों ने NRC की मांग की, सीएम बिप्लव देव दिया ये जवाब
त्रिपुरा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सहयोगी इंडीजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) सहित विभिन्न जनजातीय राजनीतिक दलों ने राज्य में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की मांग की है।
नई दिल्ली:
त्रिपुरा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सहयोगी इंडीजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) सहित विभिन्न जनजातीय राजनीतिक दलों ने राज्य में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की मांग की है। मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देव ने हालांकि कहा कि सीमावर्ती राज्य में प्रत्येक नागरिक के पास वैध दस्तावेज हैं और यहां एनआरसी की कोई मांग नहीं है।
आईपीएफटी के अतिरिक्त जनजातीय राजनीतिक दलों इंडीजिनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ त्रिपुरा (आईएनपीटी) और नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ त्रिपुरा (एनसीटी) ने असम की तरह त्रिपुरा में भी नागरिक रजिस्टर की मांग की।
और पढ़ें : असम एनआरसी पर बांग्लादेश ने कहा, अवैध प्रवासियों को हमारे देश से जोड़ना गलत
NRC की मांग को लेकर विशाल रैली का होगा आयोजन
आईपीएफटी के उपाध्यक्ष अनंत देववर्मा ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा, 'हम त्रिपुरा में एनआरसी की मांग को लेकर पहले भी रैली निकाल चुके हैं। आईपीएफटी 23 अगस्त को खुमुलंग (त्रिपुरा ट्राइबल एरियाज ऑटोनोमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल हेडक्वार्टर) में विशाल रैली आयोजित करेगी।'
विप्लब के मंत्रिमंडल में IPFT के 2 सदस्य हैं
मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देव की अध्यक्षता वाले 9 सदस्यीय मंत्रिमंडल में आईपीएफटी के दो मंत्री हैं। 60 सीटों वाली त्रिपुरा विधानसभा में आईपीएफटी के आठ सदस्य हैं।
उन्होंने कहा कि भारत के वास्तविक नागरिकों तथा स्थानीय आदिवासियों की सुरक्षा के लिए एनआरसी बहुत जरूरी है।
NRC पर राजनीति नहीं होनी चाहिए
एनसीटी के महासचिव अनिमेश देववर्मा ने कहा, 'हमारी पार्टी ने भी त्रिपुरा में एनआरसी की मांग मजबूती से रखी है और इसमें सभी के सहयोग की जरूरत है। एनआरसी पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को बचाना होगा।'
नागरिकता विधेयक 2016 को वापस लेने की मांग
आईएनपीटी, आईपीएफटी और एनसीटी ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 को वापस लेने की मांग की है। यह विधेयक फिलहाल बीजेपी सांसद राजेंद्र अग्रवाल की अध्यक्षता वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास विचाराधीन है।
यह विधेयक नागरिकता अधिनियम 1955 को संशोधित कर 2016 जुलाई में लोकसभा में पेश किया गया था।
इसके अनुसार अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के अवैध आव्रजकों को नागरिकता प्रदान की जाएगी।
सीएम विप्लब देव ने मोहन भागवत से की मुलाकात
मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देव ने मंगलवार को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की थी।
देव ने कहा, 'त्रिपुरा में सब ठीक है और सभी के पास वैध दस्तावेज हैं। इसलिए त्रिपुरा के लिए यह मुद्दा नहीं है।'
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