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इतिहास में आज का दिनः हैप्पी बर्थ डे कोलकाता, 1690 में आज के ही दिन हुई थी शहर की स्‍थापना

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता की स्थापना जॉब चार्नोक ने अगस्त 1690 में की थी।

Updated on: 24 Aug 2018, 10:42 AM

नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता की स्थापना जॉब चार्नोक ने अगस्त 1690 में की थी। कोलकाता भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर और पांचवा सबसे बड़ा बंदरगाह है। यह बंगाल की खाड़ी के शीर्ष तट से 170 किलोमीटर दूर हुगली नदी के बाएं किनारे पर स्थित है।

भारत की बौद्धिक राजधानी माना जाने वाला कोलकाता ब्रिटिश शासन के दौरान ब्रिटिश भारत की राजधानी थी, कोलकाता को लंदन के बाद ब्रिटिश एम्पायर का दूसरा सबसे बड़ा शहर माना जाता था। इस शहर को किसी जमाने में पूरब का मोती पुकारा जाता था। अंग्रेज़ इसे भले ही 'कैलकटा' पुकारते थे लेकिन बंगाल और बांग्ला में इसे हमेशा से कोलकाता या कोलिकाता के नाम से ही पुकारा जाता रहा है जबकि हिन्दी भाषा में इसको कलकत्ता या कलकत्ते के नाम से पुकारते रहे है।

कोलकाता के नाम का उल्लेख मुगल बादशाह अकबर (शासन काल, 1556-1605) के राजस्व खाते में और बंगाली कवि बिप्रदास (1495) द्वारा रचित 'मनसामंगल' में भी मिलता है। एक ब्रिटिश बस्ती के रूप में कोलकाता का इतिहास 1690 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के एक अधिकारी जाब चार्नोक द्वारा यहां पर एक व्यापार चौकी की स्थापना से शुरू होता है।

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1717 में मुग़ल बादशाह फ़र्रुख़सीयन ने ईस्ट इंडिया कम्पनी को 3,000 रुपये वार्षिक भुगतान पर व्यापार की अनुमति दे दी। इस व्यवस्था ने कोलकाता के विकास को बहुत बढ़ावा दिया। बड़ी संख्या में भारतीय व्यापारी शहर में एकत्र होने लगे। कम्पनी के झण्डे के नीचे कम्पनी के कर्मचारी शुल्क-मुक्त निजी व्यापार करने लगे।

1772 तक कोलकाता ब्रिटिश भारत की राजधानी नहीं बना, उस वर्ष प्रथम गवर्नर-जनरल वारेन हेस्टिग्ज़ ने प्रान्तीय मुग़ल राजधानी मुर्शिदाबाद से सभी महत्त्वपूर्ण कार्यालयों का स्थानान्तरण इस शहर में किया। 1773 में बंबई और मद्रास, फ़ोर्ट विलियम स्थित शासन के अधीन आ गए। ब्रिटिश क़ानून को लागू करने वाले उच्चतम न्यायालय ने अपना प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार शहर में मराठा खाई तक लागू करना प्रारम्भ कर दिया।

1947 में बंगाल का विभाजन अन्तिम प्रहार था। कोलकाता की जनसंख्या बढ़ गई थी, यहां सामाजिक समस्याएं भी तीव्र हो गईं और भारत के लिए स्वशासन की मांग भी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कोलकाता बंदरगाह पर हुए जापानी हवाई हमलों से बहुत नुक़सान हुआ और जनहानि भी हुई।

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1947 में बंगाल के भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजन से कोलकाता बहुत पिछड़ गया, क्योंकि यह अपने पूर्व पृष्ठभाग के एक हिस्से का व्यापार खोकर, केवल पश्चिम बंगाल की राजधानी बनकर रह गया।