सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील की पुनर्विचार याचिकाओं पर 6 मार्च को होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने 36 राफेल विमानों की खरीद के सौदे में जांच की मांग को खारिज कर दिया था और सरकार को क्लीन चिट देते हुए कहा था कि इस सौदे की प्रक्रिया में कुछ भी संदेहजनक नहीं है.
नई दिल्ली:
राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल पुनर्विचार याचिका पर अगली सुनवाई 6 मार्च को होगी. पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने जनवरी में राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के मामले में सरकार को क्लीन चिट दिए जाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार की मांग करते हुए याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट बीते 26 फरवरी को इस पुनर्विचार याचिका और अन्य याचिकाओं पर सुनवाई के लिए राजी हुआ था. यह सुनवाई खुली अदालत में होगी. वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट से जल्द सुनवाई का आग्रह किया था. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस किशन कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की बेंच ने कहा था कि याचिका पर सुनवाई के लिए नई बेंच का गठन किया गया था.
शीर्ष अदालत ने 14 दिसबंर के अपने फैसले में फ्रांस से खरीदे जाने वाले 36 राफेल विमानों की खरीद के सौदे में जांच की मांग को खारिज कर दिया था और सरकार को क्लीन चिट देते हुए कहा था कि इस सौदे की प्रक्रिया में कुछ भी संदेहजनक नहीं है.
कोर्ट ने कहा था कि राफेल विमानों की कीमत और राफेल विनिर्माण कंपनी दसॉ द्वारा ऑफसेट साझेदार चुनने की उनकी पसंद पर सवाल करना अदालत का काम नहीं है और पीठ को इस मामले में कुछ भी संदेहजनक नहीं लगा.
पिछले महीने राफेल डील पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) रिपोर्ट आने के बाद भारत सरकार के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए इन्हीं तीनों ने एक और याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि अधिकारियों ने कोर्ट के सामने सीलबंद लिफाफे में राफेल डील पर गलत और भ्रामक जानकारी दी थी और इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए जाएं.
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कैग द्वारा राफेल पर सौंपे गए रिपोर्ट और मीडिया रिपोर्ट के आधार पर दाखिल इस याचिका में सरकार द्वारा कोर्ट को सौंपी गई 'गलत तथ्यों' की जानकारी भी दी गई थी. याचिका में कहा गया था कि सरकार द्वारा जानकारियों को छुपाया जाना कोर्ट को पूरी तरह तथ्यों से दूर करना है और जिसके कारण इस मामले में दाखिल जनहित याचिकाएं खारिज हुई थी.
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार द्वारा हस्ताक्षरित राफेल लड़ाकू विमान सौदे की कीमत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार द्वारा प्रस्तावित कीमत से 2.86 फीसदी कम है.
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कैग की रिपोर्ट में एनडीए सरकार द्वारा साइन की गई डील में 36 राफेल लड़ाकू विमानों के वास्तविक मूल्य का खुलासा नहीं किया गया है. हालांकि, रिपोर्ट में कीमत की जांच शामिल है.
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