लोकपाल नियुक्ति मामले पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, 10 दिन के भीतर हलफनामा दायर करने का दिया आदेश
लोकपाल नियुक्ति के मामले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को फटकार लगाते हुए 10 दिन के अंदर लागू करने के सभी निर्देशों की जानकारी जमा कराने का आदेश दिया।
नई दिल्ली:
लोकपाल नियुक्ति के मामले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को फटकार लगाते हुए 10 दिन के अंदर लागू करने के सभी निर्देशों की जानकारी जमा कराने का आदेश दिया।
जस्टिस रंजन गोगोई और आर बानुमती की बेंच ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल राव को यह निर्देश दिया। इससे पहले राव ने कोर्ट में लोकपाल चयन समिति को लेकर लिखित निर्देश जमा किए थे।
सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र से 10 दिनों के भीतर एक हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है जिसमें उन्होंने लोकपाल नियुक्ति और उसमें लगने वाली समय सीमा के साथ उठाए जाने वाले कदमों का उल्लेख करने का आदेश दिया है।
मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने मामले से जुड़ी हर जानकारी को जमा करने का आदेश देते हुए अटॉर्नी जनरल से कहा कि आप जो कुछ भी कहना चाहते हैं उसे हलफनामें के रूप में दें।
गौरतलब है कि लोकपाल नियुक्ति के मामले में एनजीओ की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण ने कहा कि 4 साल से ज्यादा का समय गुजर गया है लेकिन सरकार ने भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल की नियुक्ति नहीं की।
उन्होंने इसे सुप्रीम कोर्ट के 27 अप्रैल को दिए गए फैसले की अवमानना बताया।
और पढ़ें: 2019 चुनाव में कांग्रेस के बिना विपक्षी एकता किसी कीमत पर संभव नहीं: शिवसेना
उन्होंने कहा, ' लोकपाल नियुक्ति पर सरकार की ओर से लगातार अनदेखी होने के बाद अब समय आ गया है कि जब सुप्रीम कोर्ट को अनुच्छेद 142 (सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और आदेशों के प्रवर्तन से संबंधित) के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करना चाहिए, जब तक की सरकार की ओर से लोकपाल नियुक्त नहीं हो जाता।'
हालांकि, बेंच ने कहा कि इस मामले में किसी भी आदेश पर पहुंचने से पहले, सरकार में सक्षम प्राधिकारियों की ओर से संबंध में हलफनामा लेना होगा।
इस मामले की अगली सुनवाई 17 जुलाई को होगी जिससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 10 दिनों के भीतर हलफनामा दायर करने की मांग की है।
इससे पहले केंद्र ने 15 मई को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी को लोकपाल नियुक्ति के लिए गठित चयन समिति का प्रख्यात विधिवेत्ता चुना है।
गौरतलब है कि पिछले साल 11 सितंबर को वरिष्ठ अधिवक्ता पी पी राव की मृत्यु के बाद चयन समिति में यह पद खाली था।
इस समिति में प्रख्यात विधिवेत्ता समेत प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, लोकसभा स्पीकर और विपक्ष के नेता शामिल होते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिेए अपने फैसले में कहा था कि लोकसभा अधिनियम को तब तक लागू करने का कोई फायदा नहीं है जब तक कि लोकसभा में विपक्ष के नेता के मुद्दे पर प्रस्तावित संशोधन को संसद से मंजूरी नहीं मिल जाती।
और पढ़ें: महाराष्ट्र पुलिस ने बच्चा चोरी के शक में 5 लोगों की हत्या मामले में 23 लोगों को किया गिरफ्तार
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Kajol Workout Routine: 49 की उर्म में ऐसे इतनी फिट रहती हैं काजोल, शेयर किया अपना जिम रुटीन
-
Viral Photos: निसा देवगन के साथ पार्टी करते दिखे अक्षय कुमार के बेटे आरव, साथ तस्वीरें हुईं वायरल
-
Moushumi Chatterjee Birthday: आखिर क्यों करियर से पहले मौसमी चटर्जी ने लिया शादी करने का फैसला? 15 साल की उम्र में बनी बालिका वधु
धर्म-कर्म
-
Vikat Sanakashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कब? बस इस मूहूर्त में करें गणेश जी की पूजा, जानें डेट
-
Shukra Gochar 2024: शुक्र ने किया मेष राशि में गोचर, यहां जानें किस राशि वालों पर पड़ेगा क्या प्रभाव
-
Buddha Purnima 2024: कब है बुद्ध पूर्णिमा, वैशाख मास में कैसे मनाया जाएगा ये उत्सव
-
Shani Shash Rajyog 2024: 30 साल बाद आज शनि बना रहे हैं शश राजयोग, इन 3 राशियों की खुलेगी लॉटरी