सुप्रीम कोर्ट ने कहा- राष्ट्रगान के वक्त खड़ा होना देशभक्ति साबित करने के लिए जरूरी नहीं
इस मामले की सुनवाई के दौरान उस वक्त नया मोड़ आ गया, जब देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि राष्ट्रगान के वक्त खड़ा होना राष्ट्रविरोधी नहीं कहा जा सकता। देशभक्ति दिखाने के लिए राष्ट्रगान पर खड़ा होना जरूरी नहीं है।
highlights
- देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि राष्ट्रगान नहीं गाने को राष्ट्रविरोधी नहीं कहा जा सकता।
- केंद्र से इस मामले में नियम बनाने का दिया निर्देश
- मामले की अगली सुनवाई 9 जनवरी 2018 को होगी
नई दिल्ली:
सिमेनाघरों में राष्ट्रगान के मामले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमाघरों में अनिवार्य तौर पर राष्ट्रगान दिखाए जाने के अपने फैसले में किसी तरह के संशोधन से मना करते हुए केंद्र से इस मामले में नियम बनाने का निर्देश दिया है।
इस मामले की सुनवाई के दौरान उस वक्त नया मोड़ आ गया, जब देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि राष्ट्रगान नहीं गाने को राष्ट्रविरोधी नहीं कहा जा सकता। देशभक्ति दिखाने के लिए राष्ट्रगान गाना जरूरी नहीं है।
अदालत ने केंद्र सरकार से कहा कि वह सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने को नियंत्रित करने के लिए नियमों में संशोधन पर विचार करे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देशभक्ति साबित करने को सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान के दौरान खड़े होने की जरूरत नहीं है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने कहा, 'हमें ये क्यों मानना चाहिए कि जो राष्ट्रगान नहीं गाते, वे देशभक्त नहीं हैं या कम देशभक्त हैं। देशभक्ति के लिए राष्ट्रगान गाना जरूरी नहीं है। कोर्ट अपने ऑर्डर से देशभक्ति की व्याख्या नहीं कर सकता।'
उन्होनें कहा, 'अगर केंद्र सरकार को लगता है कि राष्ट्रगान के समय सभी खड़े रहें तो वह कानून बना सकती है। केंद्र सरकार खुद क्यों नहीं राष्ट्रीय ध्वज संबंधित कानून में बदलाव करती। हर काम अदालत के पाले में क्यों डालती है।'
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि भारत बहुलता का देश है। ऐसे में राष्ट्रगान का बजाया जाना अनेकता में एकता का एहसास करायेगा।
यह भी पढ़ें :सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को निर्देश, राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत पर राष्ट्रीय नीति तैयार करे सरकार
जिसके बाद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने केंद्र सरकार से कहा कि वह सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान बजाने को लेकर एक आदेश पारित करे।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 2016 के आदेश पर नाखुशी जताते हुए कहा कि लोगों को ये डर है कि अगर आदेश पर विरोध जताएंगे तो राष्ट्र विरोधी की संज्ञा दे दी जाएगी। समाज में लोगों को मनोरंजन की जरूरत है ऐसे में ये क्यों तय करना चाहिए कि कहां राष्ट्रगान बजे और लोगों को खड़े होना चाहिए या नहीं।
गौरतलब है कि 30 नवंबर 2016 को दिये आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पूरे देश में सिनेमा घरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान चलाया जाये और इस दौरान सिनेमा हॉल में मौजूद तमाम लोग खड़े होंगे। कोर्ट ने ये भी निर्देश दिया है कि जब फिल्म हॉल में राष्ट्रगान बजाया जाए तब इस दौरान राष्ट्रीय झंडा परदे पर दिखाया जाये।
यह भी पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, फिल्म के दौरान बजने वाले राष्ट्रगान पर खड़ा होना जरुरी नहीं
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Kajol Workout Routine: 49 की उर्म में ऐसे इतनी फिट रहती हैं काजोल, शेयर किया अपना जिम रुटीन
-
Viral Photos: निसा देवगन के साथ पार्टी करते दिखे अक्षय कुमार के बेटे आरव, साथ तस्वीरें हुईं वायरल
-
Moushumi Chatterjee Birthday: आखिर क्यों करियर से पहले मौसमी चटर्जी ने लिया शादी करने का फैसला? 15 साल की उम्र में बनी बालिका वधु
धर्म-कर्म
-
Vikat Sanakashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कब? बस इस मूहूर्त में करें गणेश जी की पूजा, जानें डेट
-
Shukra Gochar 2024: शुक्र ने किया मेष राशि में गोचर, यहां जानें किस राशि वालों पर पड़ेगा क्या प्रभाव
-
Buddha Purnima 2024: कब है बुद्ध पूर्णिमा, वैशाख मास में कैसे मनाया जाएगा ये उत्सव
-
Shani Shash Rajyog 2024: 30 साल बाद आज शनि बना रहे हैं शश राजयोग, इन 3 राशियों की खुलेगी लॉटरी