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सुप्रीम कोर्ट में आज दोपहर 2 बजे के बाद होगा कामकाज, जानें क्या है वजह

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का कामकाज दोपहर 2 बजे के बाद ही शुरु हो सकेगा। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इसकी जानकारी दी है।

Updated on: 25 Jul 2017, 08:53 AM

highlights

  • सुप्रीम कोर्ट के सभी 27 न्यायाधीश राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की शपथ ग्रहण समारोह में जाएंगे
  • दोपहर 2 बजे तक नहीं शुरु हो पाएग सुप्रीम कोर्ट में न्यायायिक कामकाज 
  • इतिहास में पहली बार सभी न्यायाधीश लेंगे राष्ट्रपति शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा 

 

नई दिल्ली:

मंगलवार को देश के चुने गए अगले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का शपथ ग्रहण समारोह है। इसके चलते सुप्रीम कोर्ट के सभी 27 न्यायाधीश मंगलवार को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे। 

जिसकी वजह से दोपहर 2 बजे तक न्यायिक कामकाज शुरु नहीं हो सकेगा और 2 बजे के बाद ही दोपहर में काम शुरु पाएगा। इसकी घोषणा सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को की थी। सुप्रीम कोर्ट की घोषणा के अनुसार, न्याय संबंधी कामकाज मंगलवार को दोपहर बाद दो बजे से शुरू होगा।

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बता दें कि भारत के प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह केहर कोविंद को संसद के केंद्रीय कक्ष में दोपहर 12.30 बजे शपथ दिलाएंगे। हालांकि यह पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीश राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे। 

इससे पहले अब तक नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को शपथ दिलाने के लिए सिर्फ चीफ जस्टिस ही जाते थे, लेकिन इस बार सभी न्यायधीश शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे। 

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अब तक चार राष्ट्रपतियों- के.आर. नारायणन, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल और प्रणब मुखर्जी को नामांकन दाखिल करने में वैधानिक सहयोग दे चुके वरिष्ठ अधिवक्ता पी.एच. पारेख ने कहा, 'मैं बहुत दावे के साथ तो नहीं कह सकता, पर जहां तक मुझे याद है, इससे पहले ऐसा नहीं हुआ है।'

बता दें कि चीफ जस्टिस केहर ने इसी साल चार जनवरी को 44वें प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ ली थी। समय पर काम के आग्रही केहर के आने के बाद से देखा जा रहा है कि सर्वोच्च न्यायालय की अदालत संख्या 1 में प्रतिदिन सुबह 10:30 बजे मामलों की सुनवाई शुरू हो जाती है। 

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सुप्रीम कोर्ट के कुछ अन्य वकीलों का भी कहना है कि अदालतें अक्सर विलंब से लगती रही हैं, लेकिन समय की ऐसी पाबंदी पहले कभी नहीं देखी गई। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें याद नहीं आ रहा कि इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीश राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे।

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