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IPC की धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, जानें किसने क्या कहा!

समलैंगिक संबंधों को अपराध करार देने वाली IPC की धारा 377 के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का संविधान पीठ ने सुनवाई शुरू कर दी है।

Updated on: 10 Jul 2018, 01:40 PM

नई दिल्ली:

समलैंगिक संबंधों को अपराध करार देने वाली IPC की धारा 377 के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का संविधान पीठ ने सुनवाई शुरू कर दी है।

इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एम खानविलकर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच कर रही है।

इस मामले में सरकार की ओर से पेश ASG तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि सरकार सुनवाई के दौरान आगे चलकर इस मसले पर अपना रुख साफ करेगी।

वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए पूर्व अटॉनी जनरल मुकुल रोहतगी ने दलील शुरू की।

उन्होंने कहा कि निजता के अधिकार के मामले की सुनवाई करने वाली 9 जजों की बेंच में से छह जजों की राय थी कि IPC 377 को अपराध के दायरे में लाने वाला सुप्रीम कोर्ट का फैसला ग़लत था।

पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, ' लैंगिक मसला और किसी के प्रति सेक्सुअल झुकाव रखना दो अलग चीजें हैं। इन दोनों को हम मिला नहीं सकते। यहां सवाल इच्छा का नहीं हैं।'

उन्होंने कहा कि यह मामला संविधान की नैतिकता बनाम समाज का मुद्दा है। इसका असर बहुत बड़े स्तर पर होगा।

रोहतगी ने कहा कि आईपीसी की धारा 377 मानवाधिकार का उल्लंघन है। यह मामला सिर्फ लैंगिक आकर्षण के बारे में हैं।

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रोहतगी ने कहा,' जैसे-जैसे समाज बदलता है वैसे ही उसके मूल्य बदलते है। 160 साल पहले जो सामाजिक मूल्य मायने रखते थे वो आज के समय में अर्थहीन हैं।

मुकल रोहतगी ने दलील दी कि LGBT समुदाय को IPC के इस 165 साल पुराने कानून के चलते सामाजिक प्रताड़ना और जॉब से हाथ धोना पड़ा है ।

उन्होंने कहा कि LGBT समुदाय समाज के दूसरे तबके की तरह ही है, सिर्फ उनका सेक्सुअल रुझान अलग है, ये सवाल किसी की व्यक्तिगत इच्छा का भी नहीं है, बल्कि उस रुझान का है, जिसके साथ कोई पैदा हुआ है।

रोहतगी ने सवाल किया कि, 'क्या महज रुझान अलग होने के चलते उनके अधिकारों से उन्हें वंचित कर दिया जाए।'

रोहतगी ने अपनी दलीलों की पुष्टि के लिए महाभारत काल के शिखंडी का उदाहरण दिया।

वहीं सरकार की ओर से पेश हुए ASG तुषार मेहता ने कहा कि वो इस मामले को लेकर चर्चा कर रहे हैं, धारा 377 कानून का सवाल है।

उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में अपना जवाब आज सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर देगी।

सुनवाई के दौरान समलैंगिक संबंधों में शादी को कानूनी मान्यता को लेकर भी मामला उठा।

मुकुल रोहतगी ने मुद्दा उठाते हुए कहा,'कोर्ट को सिर्फ IPC 377 को रद्द करने तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि ऐसे जोड़ों की जीवन और सम्पति की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया जाना चाहिए।

इस पर ASG तुषार मेहता ने कहा कि सुनवाई फिलहाल IPC 377 को लेकर ही सीमित रहनी चाहिए। 

कोर्ट ने भी इस पर साफ किया कि फिलहाल वो IPC 377 पर ही विचार करेगा, इससे जुड़े बाकी मसलों को बाद में देखा जाएगा।

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