केरल : हिंदुवादी संगठनों के लगातार प्रदर्शन के बीच सबरीमाला मंदिर बंद, बीजेपी ने कहा- विरोध जारी रहेगा
राज्य के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने संघ परिवार (आरएसएस) पर निशाना साधा और कहा कि इनका सबरीमाला का आंदोलन पूरी तरह से विफल रहा.
तिरुवनंतपुरम:
केरल के सबरीमाला में 10-50 वर्ष की महिलाओं के विरोध में लंबे समय से चल रहे विरोध के बीच रविवार को 2 महीने चले वार्षिक मंडलम उत्सव और माकारविलाक्कु उत्सव के बाद भगवान अयप्पा मंदिर को बंद कर दिया गया. मंदिर बंद होने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने भी 49 दिनों से चले आ रहे भूख हड़ताल को खत्म कर दिया, साथ ही पार्टी ने कहा कि इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा. केरल बीजेपी के अध्यक्ष पीएस श्रीधरण पिल्लई ने कहा, 'इस मुद्दे पर बीजेपी फिर से प्रदर्शन करेंगी. भूख हड़ताल के बाद बीजेपी सबरीमाला मुद्दे पर अगले स्तर का आंदोलन करेगी. प्रदर्शन के रूप में बीजेपी अगले दो हफ्तों के लिए लोगों के साथ वार्ता मुहिम को शुरू करेगी.'
प्रदेश अध्यक्ष का यह बयान बीजेपी महिला मोर्चा के द्वारा 14 दिनों की भूख हड़ताल खत्म होने के घंटे भर बाद आया है. बीजेपी मांग कर रही है कि सबरीमाला मंदिर पर निषेधात्मक आदेश वापस लिए जाएं और प्रदर्शन व हड़ताल में शामिल पार्टी नेताओं के खिलाफ दर्ज केस रद्द किए जाएं.
वहीं राज्य के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने संघ परिवार (आरएसएस) पर निशाना साधा और कहा कि इनका सबरीमाला का आंदोलन पूरी तरह से विफल रहा. उन्होंने कहा कि सबरीमाला का आंदोलन जातिवाद की पैरवी करने वालों के द्वारा नेतृत्व किया जा रहा था.
उन्होंने कहा, 'भक्त इस पूरे घटनाक्रम से अवगत हैं. कुछ लोगों ने भक्तों को विश्वास दिलाने की कोशिश की कि राज्य सरकार उनके खिलाफ है लेकिन यह सरकार भक्तों के खिलाफ नहीं है.' उन्होंने संघ परिवार पर हमला बोलते हुए कहा कि दक्षिणपंथी संगठनों ने राज्य की प्रगतिशील उपलब्धियों को नुकसान पहुंचाने की पूरी कोशिश कर रही थी.
पीएम ने पुरानी परंपरा का किया था समर्थन
वहीं अभी हाल ही में कोल्लम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केरल सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि सबरीमाला मुद्दे पर एलडीएफ सरकार की कार्रवाई 'शर्मनाक कृत्य' है और उन्होंने इस मुद्दे पर कहा था कि हमारी पार्टी का रुख स्पष्ट है जो हमारे शब्दों से मिलता है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद सबरीमाला मंदिर में पुरानी प्रथा को कायम रखने को लेकर हिंदूवादी संगठन लगातार प्रदर्शन कर रहे थे.
दो महिलाओं के मंदिर में प्रवेश के बाद बवाल
बता दें कि बीते 2 जनवरी को बिंदू अम्मिनी और कनक दुर्गा नाम की दो महिलाओं ने परंपराओं को तोड़ते हुए सबरीमाला मंदिर का दर्शन किया था जिसके बाद मंदिर में शुद्धिकरण अनुष्ठान किया था. सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को इन दो महिलाओं को समुचित सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया है. मंदिर खुलने के दौरान कई और महिलाओं ने भी भगवान अयप्पा के दर्शन करने की कोशिश की थी लेकिन भारी विरोध प्रदर्शन के बीच कोई सफल नहीं हो सकी थी.
और पढ़ें : सबरीमाला मंदिर मुद्दे पर पीएम मोदी का बयान कोर्ट की अवमानना : CPI(M)
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 28 सितंबर को दिए अपने फैसले में कहा था कि सभी उम्र की महिलाओं (पहले 10-50 वर्ष की उम्र की महिलाओं पर बैन था) को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश मिलेगी. वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर 48 पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए 22 जनवरी की तारीख मुकर्रर की गई है.
कोर्ट ने क्या कहा था
अदालत ने कहा था कि महिलाओं का मंदिर में प्रवेश न मिलना उनके मौलिक और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. अदालत की 5 सदस्यीय पीठ में से 4 ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया जबकि पीठ में शामिल एकमात्र महिला जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने अलग राय रखी थी.
पूर्व मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा ने जस्टिस एम.एम. खानविलकर की ओर से फैसला पढ़ते हुए कहा था, 'शारीरिक या जैविक आधार पर महिलाओं के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता. सभी भक्त बराबर हैं और लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं हो सकता.'
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जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने भी अलग लेकिन समवर्ती फैसले में कहा था, 'धर्म महिलाओं को उनके पूजा करने के अधिकार से वंचित नहीं रख सकता.' अदालत ने कहा Le कि सबरीमाला मंदिर किसी संप्रदाय का मंदिर नहीं है. अयप्पा मंदिर हिंदुओं का है, यह कोई अलग इकाई नहीं है.
महिला जज की अलग राय
वहीं जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने अलग राय रखते हुए कहा था, 'धार्मिक प्रथाओं को समानता के अधिकार के आधार पर पूरी तरह से परखा नहीं जा सकता. यह पूजा करने वालों पर निर्भर करता है न कि अदालत यह तय करे कि किसी के धर्म की प्रक्रिया क्या होगी. सभी भक्तों को उनकी मान्यताओं के आधार पर उनके विश्वास का अनुसरण करने की मंजूरी देनी चाहिए.'
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