logo-image

राइट टू प्राइवेसी पर सुप्रीम कोर्ट सुनाएगी फैसला, जानिए दूसरे देशों में क्या है नियम

निजता का अधिकार संविधान में मौलिक अधिकार के तहत आता है या नहीं इस पर आज सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा।

Updated on: 24 Aug 2017, 07:25 AM

नई दिल्ली:

निजता का अधिकार संविधान में मौलिक अधिकार के तहत आता है या नहीं इस पर आज सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा। हमारे देश में निजता को लेकर बहस छिड़ी हुई है।

ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी है कि दुनिया के बाकी देशों में निजता को लेकर आम लोगों के पास क्या अधिकार हैं और कोई भी देश किस हद तक अपने नागरिकों की निजी जानकारी ले सकती है।

अमेरिका - संयुक्त राज्य अमेरिका में संघीय स्तर पर निजता को लेकर कोई मजबूत कानून नहीं है जैसा कि दूसरे देशों में है। ये अधिकार वहां हर राज्य को दिया गया कि वो अपने जरूरत के मुताबिक इससे जुड़े हुए कानून बना सकते हैं। अमेरिका में निजता से जुड़े हुए जो भी कानून हैं वो क्षेत्र के हिसाब से भी अलग-अलग हैं। वहां निजता कानून अलग-अलग उद्योगों के मुताबिक बनाए गए हैं।

यूरोपीय यूनियन - यूरोपीय यूनियन के सभी देशों के लिए निजता और डेटा से जुड़ा कानून 1998 में बनाया गया था। इसके तहत कानूनी तौर पर सही इस्तेमाल के लिए जरूरत के हिसाब से कोई भी डेटा लिया जा सकता है। हालांकि डेटा किस काम के लिए लिया जा रहा इसको लेकर वहां स्पष्ट और वैध कारण भी बताना अनिवार्य है।

फ्रांस - फ्रांस में डाटा सुरक्षा अधिनियम (डीपीए) 1978 में लाया गया था और फिर इसमें 2004 में भी संशोधन किया गया। वहां डाक और इलेक्ट्रॉनिक्स कम्युनिकेशंस कोड और संदेश को भी भी निजी डेटा के तौर पर माना जाता है। डीपीए के तहत वहां निजता का अधिकार कानून बेहद व्यापक है जिसके तहत किसी भी निजी जानकारी का संग्रह व्यक्ति के पहचान के लिए किया जाता हो।

जर्मनी - जर्मनी में 2001 के संघीय डेटा संरक्षण अधिनियम के तहत किसी भी प्रकार के व्यक्तिगत डेटा का कोई भी संग्रह करने पर पाबंदी है। हालांकि किसी बेहद जरूरी काम के लिए कानून अधिकार लेकर डेटा लिया जा सकता है।

जापान - जापान में किसी भी व्यक्ति की निजी जानकारी की सुरक्षा के लिए व्यक्तिगत सूचना संरक्षण अधिनियम लागू है। वहां निजता के दायरे को काफी व्यापक भी रखा गया है। जापान में सिर्फ वहीं जानकारी ली जा सकती है जो सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध कराया जा सकता हो।

सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच इसपर फैसला करेगी की  निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है या नहीं। इस बेंच में चीफ जस्टिस जे एस खेहर के अलावा, जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस आर के अग्रवाल, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस अभय मनोहर सप्रे, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर शामिल हैं।