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राफेल डील: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगी प्रक्रिया की रिपोर्ट, नोटिस जारी करने से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल डील मामले में केंद्र सरकार से ख़रीद-सौदे की प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी देने को कहा है.

Updated on: 10 Oct 2018, 04:36 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के संबंध में निर्णय लेने की प्रक्रिया का ब्योरा मांगा है. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायाधीश संजय किशन कौल और न्यायाधीश केएम जोसेफ की पीठ ने स्पष्ट किया कि मांगी गई जानकारी जेट विमानों की कीमत या उपयुक्तता से संबंधित नहीं है. 

पीठ ने कहा कि सूचना को सीलबंद कवर में पेश किया जाना चाहिए और यह सुनवाई की अगली तारीख यानी 29 अक्टूबर तक अदालत में पहुंचनी चाहिए. आपको बता दें कि विपक्ष राफेल जेट की कीमतों को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगा रहा है और इसी के तहत मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. 

सुप्रीम कोर्ट ने बिना नोटिस जारी किए केंद्र से रिपोर्ट मांगी है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने कहा कि वह डिफेंस फोर्सेज के लिए राफेल विमानों की उपयुक्तता पर कोई राय व्यक्त नहीं कर रहे हैं. बेंच ने कहा, 'हम सरकार को कोई नोटिस जारी नहीं कर रहे हैं, हम केवल फैसला लेने की प्रक्रिया की वैधता से संतुष्ट होना चाहते हैं.' बेंच ने यह भी साफ किया है कि वह राफेल डील की तकनीकी डीटेल्स और कीमत के बारे में सूचना नहीं चाहता है. 

इससे पहले वकील मनोहर लाल और विनीत ढांडा ने याचिका दायर करते हुए फ्रांस और भारत के बीच समझौता को सार्वजनिक करने की मांग की थी. इसके अलावा राफेल की वास्तविक कीमत के बारे में भी जानकारी मांगी थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से राफेल डील की पूरी प्रक्रिया की जानकारी कोर्ट  में देने को कहा है.

याचिका में वकील की तरफ से इस मामले में प्रधानमंत्री, तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, उद्योगपति अनिल अंबानी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करने की मांग की है. इससे पहले कांग्रेस ने गुरुवार के राफेल सौदे मामले में दूसरी बार भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) राजीव महर्षि से मुलाकात की और उनसे संसद में रिपोर्ट दाखिल करने से पहले राफेल सौदे का ऑडिट करने का आग्रह किया.

पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश और आनंद शर्मा की अगुवाई में पार्टी प्रतिनिधियों ने सीएजी से मुलाकात की और सौदे पर 'नई जानकारियां व खुलासे' वाले दस्तावेज सौंपे, जिसमें उनके दावे के अनुसार, बताया गया है कि सौदे से सरकारी खजाने को 41,205 करोड़ रुपये का घाटा हुआ.

शर्मा ने बैठक के बाद कहा, 'हम नई जानकारियों और राफेल सौदे के खुलासे के साथ सीएजी से मिले. इस मामले में अभी और खुलासे होने वाले हैं. संसद में रिपोर्ट दाखिल होने से पहले सभी जानकारियों और दस्तावेजों का सीएजी द्वारा फोरेंसिक ऑडिट होना चाहिए.

जब ये तथ्य रिकार्ड में आ जाएंगे, कांग्रेस तब सभी दस्तावेजों को अपने अधीन लेने और उसके बाद जवाबदेही तय करने के लिए संयुक्त संसदीय समिति(जेपीसी) से जांच पर जोर देगी.' कांग्रेस ने इससे पहले 19 सितंबर को इस बाबत सीएजी से मुलाकात की थी.

पार्टी ने उस दौरान कई कथित अनियमितताओं के विवरण वाला एक ज्ञापन सौंपा और दावा किया कि इससे राजकोष को भारी नुकसान हुआ और देश की सुरक्षा के साथ समझौता किया गया. मामले की जांच करवाने को लेकर कांग्रेस केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के पास भी गई थी और इस संबंध में एफआईआर दर्ज करवाया था.

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पार्टी ने सीवीसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 'एकतरफा' सौदे की घोषणा से संबंधित दस्तावेज को जब्त करने की मांग की थी.