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बैन के बावजूद पंजाब के किसान नहीं रोक रहे पराली जलाना, कहा- हम भी प्रकृति प्रेमी लेकिन...

पराली को जलाने पर प्रतिबंधन के बावजूद पंजाब के भटिंडा में किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और कृषि अवशेषों को जला रहे हैं.

Updated on: 16 Oct 2018, 07:55 AM

नई दिल्ली:

पराली को जलाने पर प्रतिबंधन के बावजूद पंजाब के भटिंडा में किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और कृषि अवशेषों को जला रहे हैं. किसानों का कहना है कि सरकार ने कोई राहत नहीं दी है इसलिए उनके पास पराली जलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि हम भी प्रकृति प्रेमी हैं, लेकिन हमारे पास कोई अन्य विकल्प नहीं है, केंद्र या राज्य सरकार हमें कोई आर्थिक मदद नहीं दे रहा है. इसलिए हम अभी भी पराली जला रहे हैं.

हालांकि धान का पुआल (पराली) जलाने से रोकने क के लिए लुधियाना में नई तकनीक का उपयोग किया जा रहा है. एक किसान का कहना है कि इससे पहले हमारे पास पराली जलाने के अलावा कोई साधन नहीं था, लेकिन अब इस तकनीक को छह गांवों में मंजूरी दे दी गई है, यह बहुत ही फायदेमंद है और हम खुश है. यह एक स्थायी समाधान है.

वहीं, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि वो किसानों को पराली जलाने से नहीं रोक सकते हैं. हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) कानूनों का पालन किया जाना चाहिए.

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बता दें कि पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा पराली जलाने का सीधा असर दिल्ली-एनसीआर के पर्यावरण पर पड़ता है. यहां हवा में प्रदूषण का स्तर खतरनाक तरीके से बढ़ जाता है. दूसरी तरफ किसानों के पास पराली जलाने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं है. क्योंकि धान की कटाई के बाद आलू और गेहूं की बुआई के लिए किसानों के पास 10-15 दिन का समय होता है.

इधर, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार समस्या से निपटने के लिए आधुनिक उपकरणो और प्रौद्योगिकी के लिए बड़ी राशि को मंजूरी दी है.

केंद्रीय बजट 2017-18 में, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) की सरकारों को खराब हवा की गुणवत्ता से निपटने के लिए सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया था.

गौरतलब है कि पंजाब सरकार की ओर से केंद्र सरकार को दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 2016 और 2017 के दौरान पराली जलाने के मामलों में कमी आई है. 2016 में पराली जलाने के 80,879 मामले सामने आए थे, वे 2017 में घटकर 43,817 रह गए.

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