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राष्ट्रपति चुनाव 2017: डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के नाम पर मनाया जाता है शिक्षक दिवस, जानें इनसे जुड़ी रोचक बातें

आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक शिक्षाविद तो थे ही साथ ही महान दार्शनिक, महान वक्ता और भारतीय संस्कृति को बारीकी से जानने वाले थे।

Updated on: 22 Jun 2017, 09:40 AM

नई दिल्ली:

आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक शिक्षाविद तो थे ही साथ ही महान दार्शनिक, महान वक्ता और भारतीय संस्कृति को बारीकी से जानने वाले थे। राधाकृष्णन का जीवन बहुत ही अनुशासित था। उन्होंने राजनीति में आने से पहले अपने जीवन के 40 साल अध्यापन के लिए दिए थे।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के एक छोटे से गांव में 5 सितंबर 1888 को हुआ था। राधाकृष्णन शुरू से ही पढ़ाई-लिखाई में खूब दिलचस्पी रखते थे। इस दौरान उन्होंने स्वामी विवेकानंद और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर सावरकर को पढ़ा और वह इन दोनों से ही बहुत प्रभावित हुए।

डॉक्टर राधाकृष्णन शुरू से ही पूरी दुनिया को एक स्कूल की तरह देखते थे। वह मानते थे कि शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का विकास और सही उपयोग संभव है। इसलिए शिक्षा का स्तर वैश्विक होना चाहिए।

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13 मई 1962 को डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण की थी। इस उपलक्ष्य में उन्हें 31 तोपों की सलामी दी गई थी। इन्होंने इस पद पर रहते हुए देश की खूब सेवा की। जब वे राष्ट्रपति थे इस दौरान उनके पास कुछ स्टूडेंट्स पहुंचे और आग्रह किया कि उनके जन्मदिन को वे टीचर्स डे के रूप में मनाना चाहते हैं।

यह बात सुनकर डॉक्टर राधाकृष्णन अभिभूत हो गए और उन छात्रों की इच्छा पर इनकार नहीं कर पाए। बस तभी से 5 सितंबर को इनके जन्मदिन पर पूरे देश में शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

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जानिए इनके बारे में 10 रोचक तथ्य-

1. स्कूल के दिनों में ही डॉक्टर राधाकृष्णन ने बाइबिल के कई महत्वपूर्ण अंश कंठस्थ कर लिए थे, इसके लिए उन्हें विशिष्ट योग्यता के सम्मान से नवाजा गया था।

2. इनके नाम में सर्वपल्ली शब्द के पीछे भी रोचक कहानी है। इनका परिवार पहले जहां रहता था उस गांव का नाम सर्वपल्ली था जिसके बाद इनका परिवार तिरूतनी गांव में बस गया था। लेकिन वह चाहते थे कि उनका गांव का नाम उनके नाम के साथ होना चाहिए।

3. वह फिलॉस्फी के टीचर थे। उन्होंने लिखा था कि 'पुस्तकें वो साधन हैं जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं।' उनके द्वारा लिखी गई फेमस किताब है 'द रीन ऑफ रिलीजन इन कंटेंपररी फिलॉस्फी।'

4. 1915 में डॉ राधाकृष्णन की मुलाकात महात्मा गांधी से हुई थी। गांधी के विचारों से प्रभावित होकर ही राधाकृष्णन ने आंदोलन के समर्थन में कई लेख लिखे थे।

5. राधाकृष्णन अपने छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय थे। जब वह मैसूर से कोलकात जा रहे थे तब मैसूर स्टेशन डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जय-जयकार से गूंज उठा था। नम आंखों से स्टूडेंट्स ने उन्हें विदाई थी।

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6. डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने राष्ट्रपति पद के कार्यकाल में कई देशों की यात्राएं की हैं। बता दें कि वह अमेरिका के व्हाईट हाउस में हेलिकॉप्टर से पहुंचने वाले विश्व के पहले व्यक्ति थे।

7. 1954 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भारत के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

8. डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को संविधान निर्माता समिति का सदस्य बनाया गया था। 1952 में जवाहरलाल नेहरू के आग्रह पर सोवियत संघ के विशिष्ट राजदूत बने और फिर इसी साल उन्होंने उपराष्ट्रपति का पद संभाला।

9. डॉ राधाकृष्णन 1962 से 1967 तक भारत के राष्ट्रपति रहे हैं। इस कार्यकाल को पूरा कर वे मद्रास चले गए थे जहां पर उन्होंने पूर्ण अवकाशकालीन जीवन व्यतीत किया।

10. सबके प्यारे शिक्षक ने लंबी बीमारी के बाद 17 अप्रैल 1975 को सुबह अपने अमूल्य जीवन की आखिरी सांस ली। देश के लिए यह अपूर्णीय क्षति थी।

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