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फेक न्यूज मामले में सूचना प्रसारण मंत्रालय के फैसले को मोदी ने किया रद्द, PMO से नहीं ली गई थी मंजूरी

फेक न्यूज पर लगाम लगाने के मकसद से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से जारी विवादास्पद आदेश को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रद्द कर दिया।

Updated on: 03 Apr 2018, 11:19 PM

highlights

  • सूचना प्रसारण मंत्रालय के विवादित फैसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया रद्द
  • नए आदेश में झूठी खबरें फैलाने पर पत्रकारों की सरकारी मान्यता रद्द करने की चेतावनी दी गई थी

नई दिल्ली:

फेक न्यूज पर लगाम लगाने के मकसद से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से जारी विवादास्पद आदेश को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रद्द कर दिया।

नए आदेश में झूठी खबरें फैलाने पर पत्रकारों की सरकारी मान्यता रद्द करने की चेतावनी दी गई थी।

सूत्रों के मुताबिक, 'प्रधानमंत्री फेक न्यूज से संबंधित दिशानिर्देशों को तत्काल वापस लिए जाने का निर्देश दिया।' उन्होंने कहा कि इस मामले का हल केवल भारतीय प्रेस परिषद में होना चाहिए।

माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय से पूछे बिना ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से यह आदेश जारी किया गया था, जिसे बाद में वापस ले लिया गया।

सूत्रों के मुताबिक यह आदेश जारी किए जाने से पहले प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से संपर्क नहीं किया गया और पीएमओ को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी।

बाद में मामला सामने आने के बाद पीएमओ ने सूचना प्रसारण मंत्रालय को इस आदेश को तत्काल प्रभाव से वापस लेने का आदेश दिया।

सूचना प्रसारण मंत्रालय की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के पास है।

सोमवार रात जारी आदेश में चेतावनी दी गई थी कि पत्रकारों द्वारा झूठी खबरें फैलाने या दुष्प्रचार करते हुए पाए जाने पर उनकी सरकार तक पहुंच रोक दी जाएगी और उनकी सरकारी मान्यता सीमित अवधि के लिए या स्थायी रूप से रद्द कर दी जाएगी।

पत्रकारों और विपक्षी दलों ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी इस आदेश पर कड़ा विरोध जताया था और इस दिशानिर्देश को प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया था।

एमनेस्टी ने की आलोचना

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मंगलवार को फेक न्यूज फैलाने के आरोपी पत्रकार की मान्यता रद्द करने के कार्यकारी आदेश को वापस लेने के सरकार के कदम का स्वागत किया और कहा कि यह कदम मीडिया पर नियंत्रण लगाने का खुला प्रयास था।

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक आकार पटेल ने एक बयान में कहा, 'सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के आदेश को वापस लेने के कदम का स्वागत है। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि यह फेक न्यूज और सरकार को निशाना बनाकर आलोचना करने वालों पर लगाम लगाने के नाम पर मीडिया को नियंत्रित करने का खुला प्रयास था।'

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उन्होंने कहा, 'हालांकि जानबूझकर गुमराह करना और झूठी खबरें फैलाना वास्तव में एक समस्या है, लेकिन इसका यह समाधान नहीं है कि प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला किया जाए। सरकार को इसके बजाए मीडिया के लिए एक मुक्त, स्वतंत्र और विविधतापूर्ण माहौल को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने चाहिए।'

उन्होंने कहा कि कई सरकारी प्रवक्ताओं को सोशल मीडिया और टीवी पर गलत जानकारी देने के लिए जाना जाता है, जिसके बारे में उन्हें पता होना चाहिए कि यह गलत है। इस खतरनाक चलन को रोकने की जरूरत है।

राहुल ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधा

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने झूठी खबरें फैलाते पाए जाने पर पत्रकारों की मान्यता रद्द करने के आदेश जारी करने और कुछ ही समय बाद इसे वापस लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मंगलवार को हमला किया और कहा कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई है और अफरातफरी की स्थिति पैदा हो गई है। 

राहुल ने ट्वीट कर कहा, 'फेक न्यूज संबंधित अधिसूचना पर आक्रोश बढ़ने पर प्रधानमंत्री ने अपना फैसला वापस लिया। कोई भी स्पष्ट तौर पर देख सकता है स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई है और अब अफरा-तफरी की स्थिति पैदा हो गई है।'

इस आदेश के बाद पत्रकारों और विपक्षी पार्टियों ने तीखी प्रतिक्रिया की और इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया था।

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