logo-image

आज लाल किले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फहराएंगे तिरंगा, जानें वजह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को आजाद हिंद सरकार की 75वीं वर्षगांठ पर लाल किले पर राष्ट्रध्वज फहराएंगे. पारंपरिक रूप से देश के प्रधानमंत्री 15 अगस्त को ही ऐतिहासिक लाल किले पर राष्ट्रध्वज फहराते हैं

Updated on: 21 Oct 2018, 12:00 AM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार यानी आज आजाद हिंद सरकार की 75वीं वर्षगांठ पर लाल किले पर राष्ट्रध्वज फहराएंगे. पारंपरिक रूप से देश के प्रधानमंत्री 15 अगस्त को ही ऐतिहासिक लाल किले पर राष्ट्रध्वज फहराते हैं. इस वर्ष मोदी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अगुवाई और प्रेरणा से बनी आजाद हिंद सरकार की वर्षगांठ मनाने के लिए लाल किले पर तिरंगा फहराएंगे. एक अधिकारिक बयान के मुताबिक, इस ऐतिहासिक समारोह में केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा और इंडियन नेशनल आर्मी(आईएनए) के सैनिक आर.एस. छिकारा के अलावा अन्य लोग शामिल होंगे.

आजाद हिंद सरकार की स्थापना सुभाष चंद्र बोस के विचारों से प्रेरित होकर 21 अक्टूबर, 1943 को सिगापुर में की गई थी. इस समारोह के संपन्न होने तक लाल किला आम लोगों और आगंतुकों के लिए बंद रहेगा.प्रधानमंत्री आजाद हिंद फौज या आईएनए को समर्पित एक संग्रहालय की आधारशिला भी रखेंगे.

और पढ़ें: आजाद हिंद सरकार ने जारी किए थे 6 प्रकार के डाक टिकट, जानें इतिहास के पन्नों में छिपी कहानी

बता दें कि आजाद हिंद सरकार की स्थापना 21 अक्टूबर 1943 को हुई थी, लेकिन इससे पहले आज़ाद हिंद फौज को सबसे पहले राजा महेन्द्र प्रताप सिंह ने 29 अक्टूबर 1915 को अफगानिस्तान में बनायी थी. इसे बाद सुभाष चंद्र बोस को सौंप दिया गया था. जिसे फिर से सुभाष चंद्र बोस ने 21 अक्टूबर 1943 आजाद हिंद सरकार के नाम से स्थापित किया.

 जापान ने 23 अक्टूबर 1943 को आज़ाद हिंद सरकार को मान्यता दी. जापान ने अंडमान व निकोबार द्वीप आजाद हिंद सरकार को दे दिये. सुभाष उन द्वीपों में गये और उनका नया नामकरण किया. अंडमान का नया नाम शहीद द्वीप और निकोबार का स्वराज्य द्वीप रखा गया. 

30 दिसंबर 1943 को ही अंडमान निकोबार में पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने तिरंगा फहराया था.ये तिरंगा आज़ाद हिंद सरकार का था. भारत की धरती पर यह आज़ादी की पहली निशानी थी. सुभाष चंद्र बोस भारत की पहली आज़ाद सरकार के प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री थे. आज़ाद हिंद सरकार को 9 देशों की सरकारों ने अपनी मान्यता दी थी. जिसमें जर्मनी, फिलीपींस, थाईलैंड, मंचूरिया, और क्रोएशिया ने भी आज़ाद हिंद सरकार को अपनी मान्यता दे दी.