पीएम मोदी ने कहा, 3 सालों में 2.17 लाख गांव हुए शौचमुक्त, ग्रामीण स्वच्छता भी बढ़ी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि ग्रामीण स्वच्छता पिछले तीन सालों में 39 फीसदी से 66 फीसदी बढ़ी है। जिसके बाद 2.17 लाख गांव अब खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं।
highlights
- ग्रामीण स्वच्छता पिछले तीन सालों में 39 फीसदी से 66 फीसदी बढ़ी है
- 2.17 लाख गांव अब खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं
- देश के पांच राज्य हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, सिक्किम और केरल स्थिति बेहतर
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि ग्रामीण स्वच्छता पिछले तीन सालों में 39 फीसदी से 66 फीसदी बढ़ी है। जिसके बाद 2.17 लाख गांव अब खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। मोदी ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पुणे में दादा वासवानी के 99वें जन्मदिवस समारोह को संबोधित किया।
प्रधानमंत्री ने मानवता के लिए दादा वासवानी की नि:स्वार्थ सेवा के लिए उनकी सराहना की। 'सही विकल्प की तैयारी' पर आधारित दादा वासवानी के विचारों की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि व्यक्ति सही विकल्प तैयार करने का संकल्प लेता है तो भ्रष्टाचार, जातिवाद, नशाखोरी, अपराध आदि जैसी बुराइयों को समाप्त किया जा सकता है।
उन्होंने वर्ष 2022 में भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ की चर्चा करते हुए कहा कि भारत को आज यह संकल्प लेना चाहिए कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपने पूरे हों। उन्होंने साधु वासवानी मिशन से मांग करते हुए कहा कि चाहे जैसे भी हो, वे इस प्रयास में शामिल हो।
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उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान देश में एक जनआंदोलन की तरह जारी है। 2 अक्तूबर, 2014, जब ये अभियान शुरू किया गया था तो देश में ग्रामीण स्वच्छता का दायरा सिर्फ 39 प्रतिशत था। आज ये बढ़कर 66 प्रतिशत तक पहुंच गया है। गांवों, जिलों और राज्यों में खुद को खुले में शौच से मुक्त घोषित करने की प्रतिस्पर्धा चल रही है।
देश के पांच राज्य- हिमाचल प्रदेश हरियाणा, उत्तराखंड, सिक्किम और केरल भी इस लिस्ट में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि आप सभी लोग शिक्षा के क्षेत्र में, महिला कल्याण के क्षेत्र में, स्वास्थ्य के क्षेत्र में इतना कुछ कर रहा है। स्वच्छाग्रह में आपका ज्यादा योगदान लोगों को शिक्षित भी करेगा और उनका स्वास्थ्य भी सुधारेगा।
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मोदी ने कहा, 'मैं आज इस कार्यक्रम के माध्यम से देश के प्रत्येक समाजसेवी संगठन से एक अपील भी करना चाहता हूं। ईट-पत्थर जोड़कर शौचालय तो बनाए जा सकते हैं, कर्मचारियों को जुटाकर सड़कें तो साफ कराई जा सकती हैं, रेलवे स्टेशन-बस अड्डे साफ कराए जा सकते हैं, लेकिन उन्हें लगातार स्वच्छ रखने के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।'
उन्होंने कहा कि स्वच्छता एक व्यवस्था नहीं है, स्वच्छता एक वृत्ति है। ये हम सभी का स्वभाव बने, ये जरूरी है। स्वच्छता को एक प्रवृत्ति मानकर, एक बड़ी लगन के साथ नित्य अभ्यास करें, तो ये प्रवृत्ति अपने आप समाज की प्रकृति बन जाएगी। इसी तरह पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी लोगों को लगातार जागरूक किए जाने की आवश्यकता है।
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