Rafale : सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता ने की Deal रद करने की मांग, केंद्र के वकील बोले, कुछ भी गलत नहीं हुआ
राफेल डील (Rafale Deal) मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच के सामने सुनवाई शुरू हो गई है. बहस के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि डील में फ्रॉड हुआ है, लिहाजा इस राफेल डील (Rafale Deal) को रद किया जाए.
नई दिल्ली:
राफेल डील (Rafale Deal) मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच के सामने सुनवाई शुरू हो गई है. बहस के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि डील में फ्रॉड हुआ है, लिहाजा इस राफेल डील (Rafale Deal) को रद किया जाए. डील का ऐलान अप्रैल 2015 में हुआ, जबकि इस पर बातचीत मई 2015 में हुई. याचिकाकर्ता ने इस मामले को पांच जजों की संविधान पीठ को भी भेजने की मांग की. सरकार के वकील ने याचिकाकर्ता की इन मांगों का जबर्दस्त तरीके से विरोध किया और बोले, सरकार संसद में दो बार इस पर विस्तार से जानकारी दे चुकी है. सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को महत्वपूर्ण जानकारी सौंप दी गई है. राफेल डील में कुछ भी गलत नहीं हुआ है.
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इससे पहले राफेल डील (Rafale Deal) को लेकर विपक्ष के आरोपों को झेल रही केंद्र की मोदी सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में इस सौदे की खरीद प्रक्रिया से जुड़े सारे दस्तावेज याचिकाकर्ता को सौंप दिए थे. इसके साथ ही केंद्र सरकार ने राफेल विमानों की कीमतों के बारे में सुप्रीम कोर्ट की ओर से मांगी गई जानकारी पर अपना जवाब एक सीलबंद लिफाफे में सौंप दिया. इस बाबत केंद्र सरकार ने कहा, 'राफेल की खरीद में पूरी प्रकिया का पालन किया गया. करीब एक साल तक फ्रांस सरकार से बात चली.'
'36 राफेल विमानों की खरीद में फैसले लेने की प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी' वाले इस दस्तावेज में सरकार ने यह भी कहा कि कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्यॉरिटी (सीसीएस) से अनुमति लेने के बाद समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.'
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केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि ऑफसेट पार्टनर चुनने में सरकार का कोई रोल नहीं है, नियमो के मुताबिक विदेशी निर्माता किसी भी भारतीय कंपनी को बतौर ऑफसेट पार्टनर चुनने के लिए स्वतंत्र है. इतना ही नहीं उन्होंने यूपीए (UPA) के जमाने से चली आ रही रक्षा उपकरणों की खरीद प्रकिया (2013) का पालन किया गया है.
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दस्तावेजों में दी गई जानकारी के अनुसार जब भारतीय वार्ताकारों ने 4 अगस्त 2016 को 36 राफेल जेट से जुड़ी रिपोर्ट पेश की, तो इसका वित्त और क़ानून मंत्रालय ने आंकलन किया और कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्युरिटी ने 24 अगस्त 2016 को इसे मंजूरी दी. इसके बाद भारत-फ्रांस के बीच समझौते को 23 सितंबर 2016 को अंजाम दिया गया.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 31 अक्टूबर को सरकार को आदेश दिया था कि वो याचिकाकर्ता को खरीद प्रक्रिया से जुड़े दस्तावेज उपलब्ध कराए, जिसका पालन आज सरकार ने किया.
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