नई दिल्ली:
बीते दिनों संसद में गृहमंत्रालय ने एक रिपोर्ट का जिक्र किया, जिसके मुताबिक दिल्ली में 51 फीसदी लोगों ने अपराध को सबसे बड़ी समस्या माना! देश की राजधानी का ये हाल है तो मुल्क की बाकी तस्वीर भी साफ समझ आती है।
यूएन के मुताबिक एक लाख की आबादी पर 222 पुलिसकर्मी होने चाहिए, जबकि हमारे मुल्क में सिर्फ 151 हैं। अफसोस की बात ये भी कि मौजूदा करीब 19 लाख पुलिसकर्मियों में से करीब 4 लाख पद खाली हैं।
सबसे ज्यादा 2 लाख पद अकेले उत्तर प्रदेश में और जो पुलिसकर्मी मौजूद हैं भी उनमें से बड़ी संख्या में हमारे माननीयों की सुरक्षा में तैनात हैं।
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— News State (@NewsStateHindi) May 20, 2018
सवाल है कि पुलिस की प्राथमिकता में आखिर कौन है, देश की जनता या हमारे माननीय? शायद यही वजह है कि पुलिस से ज्यादा हथियार कई सूबों के लोगों के पास हैं। जैसे यूपी पुलिस के पास करीब 2.25 लाख हथियार हैं, जबकि सूबे के लोगों के पास करीब पौने 13 लाख हथियार! पुलिस से करीब 6 गुना ज्यादा!
आलम ये है कि देश में पुलिसकर्मी से ज्यादा निजी गार्ड हैं। पुलिस वाले करीब 19 लाख, जबकि प्राईवेट गार्ड करीब 70 लाख! मानों पुलिस पर भरोसा ही नहीं! जाहिर है सवाल पुलिस की साख पर हैं।
वैसे खाली पद के चलते मौजूदा पुलिसकर्मियों पर अतिरिक्त दबाव, प्रमोशन में रूकावटें, हथियार और वाहनों की कमी जैसी ढेरों दिक्कतें पुलिसकर्मियों की भी हैं, जिस पर बीते 40 साल से कमेटियां बनती रहीं ऐलान हुए, लेकिन सब मानों रस्म अदायगी ही साबित हुए!
तो सवाल ये कि पुलिस के हालात आखिर सुधरेंगे कैसे? पुलिस पर भरोसा जगेगा कैसे? हर नागरिक को सुरक्षा मिलेगी कैसे? यही सब समझने के लिए देखिए न्यूज नेशन का खास कार्यक्रम 'इंडिया बोले' — 'ख़ाकी, ख़बरदार और सवाल' इस सोमवार शाम 6 बजे।
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