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बहुचर्चित कठुआ रेप-मर्डर केस में आज आएगा फैसला, सुरक्षा के कड़े बंदोबस्‍त

15 पन्नों के आरोपपत्र के अनुसार, 10 जनवरी 2018 को बच्‍ची को अगवा कर कठुआ जिले के एक गांव के मंदिर में बंधक बनाकर दुष्कर्म किया गया. चार दिन तक बेहोश रखने के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी.

Updated on: 10 Jun 2019, 08:42 AM

highlights

  • फैसला आने को लेकर किए गए सुरक्षा के कड़े इंतजाम
  • बच्‍ची को अगवा कर रेप के बाद कर दी गई थी हत्‍या 
  • सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पठानकोट कोर्ट में चल रही थी सुनवाई 

नई दिल्‍ली:

जम्मू कश्मीर के कठुआ में बहुचर्चित रेप और मर्डर केस (Kathua Rape and Murder Case) में आज विशेष अदालत फैसला सुनाएगी. आठ साल की बच्ची के साथ बलात्कार और उसकी हत्या के बाद देश स्‍तब्‍ध रह गया था. बंद कमरे में अदालत ने तीन जून को सुनवाई पूरी की थी. जिला और सत्र न्यायाधीश तेजविंदर सिंह ने 10 जून को फैसला सुनाने की बात कही थी. कठुआ केस में फैसला आने को लेकर अदालत और उसके आसपास सुरक्षा के कड़े बंदोबस्‍त किए गए हैं.

15 पन्नों के आरोपपत्र के अनुसार, 10 जनवरी 2018 को बच्‍ची को अगवा कर कठुआ जिले के एक गांव के मंदिर में बंधक बनाकर दुष्कर्म किया गया. चार दिन तक बेहोश रखने के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस मामले की रोजाना सुनवाई राज्‍य से बाहर पंजाब के पठानकोट में हुई. पठानकोट में पिछले साल जून के पहले सप्ताह में सुनवाई शुरू हुई थी. पठानकोट जम्मू से करीब 100 किलोमीटर और कठुआ से 30 किलोमीटर दूर है. कठुआ में वकीलों ने अपराध शाखा के अधिकारियों को इस सनसनीखेज मामले में आरोपपत्र दाखिल करने से रोका था. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस केस के ट्रांसफर का आदेश दिया था.

क्राइम ब्रांच ने इस मामले में ग्राम प्रधान सांजी राम, उसके बेटे विशाल, किशोर भतीजे तथा उसके दोस्त आनंद दत्ता को गिरफ्तार किया था. इस मामले में दो विशेष पुलिस अधिकारियों दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा को भी दबोचा गया था. सांजी राम से कथित तौर पर चार लाख रुपये लेने और महत्वपूर्ण सबूतों को नष्ट करने के मामले में हैड कांस्टेबल तिलक राज एवं एसआई आनंद दत्ता भी पकड़े गए थे.

आठ में से सात आरोपियों पर दुष्कर्म व हत्या के आरोप तय किए हैं. किशोर आरोपी के खिलाफ मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है और उसकी उम्र संबंधी याचिका पर जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट में सुनवाई होगी. दोषी करार दिए जाने पर आरोपियों को कम से कम उम्रकैद और अधिकतम मौत की सजा सुनाई जा सकती है.