नवीन पटनायक ने संसद में 33% महिला आरक्षण को लेकर पीएम मोदी को लिखा पत्र, कहा- यह महात्मा गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखकर संसद और राज्य विधानसभाओं में 33 फीसदी महिला आरक्षण की मांग की हैं.
नई दिल्ली:
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखकर संसद और राज्य विधानसभाओं में 33 फीसदी महिला आरक्षण की मांग की हैं. उन्होंने पत्र में लिखा कि यह करना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर सबसे अच्छी श्रद्धांजलि होगी. नवीन पटनायक ने पीएम मोदी को लिखा है कि महात्मा गांधी हमेशा समाज में लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण की बात करते थे. गौरतलब है कि ओडिशा विधानसभा ने हाल ही में बिना किसी गतिरोध के 33 फीसदी महिला आरक्षण विधेयक को पारित किया था, ऐसा करने वाला ओडिशा देश का पहला राज्य बना.
महिला सशक्तिकरण की दिशा में अपनी सरकार के निर्णय के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने लिखा, '2011 में, ओडिशा सरकार ने पंचायत और शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षण को बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया था. इस निर्णय से ओडिशा की महिलाएं सशक्त हुईं और विकास प्रक्रिया की मुख्य धारा से जुड़ने में उन्हें साहस मिला.'
20 नवंबर को ओडिशा विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव की कॉपी को संलग्न करते हुए पटनायक ने लिखा, 'मुझे यह बताने में खुशी हो रही है कि हाल ही में ओडिशा विधानसभा ने संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण देने के प्रस्ताव को पारित किया था.'
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा कि महिलाओं के सशक्तिकरण के मामले में ओडिशा एक मार्गदर्शक राज्य रहा है. उन्होंने लिखा है, '1990 के शुरुआती दशक में बीजू पटनायक ने पंचायत और शहरी स्थानीय निकायों की सभी सीटों पर एक तिहाई आरक्षण देकर देश में पहली बार महिलाओं को राजनीतिक निर्णय का अधिकार दिया था.'
उन्होंने लिखा है, 'इसके अलावा उन्होंने (बीजू पटनायक) पुरुष और महिलाओं के लिए बराबर वेतन लागू कर लैंगिक समानता और परिश्रम की गरिमा को सुनिश्चित किया था.'
और पढ़ें : महिला आरक्षण के लिए राहुल गांधी ने उठाई थी आवाज, लेकिन CWC में सिर्फ 3 महिलाओं को दी जगह
पटनायक ने लिखा, 'महिलाओं का सशक्तिकरण देश का सशक्तिकरण है. महिलाओं को सशक्त किए बिना कोई भी घर, समाज, राज्य, देश आगे नहीं बढ़ सकता है. लैंगिक समानता का सिद्धांत हमारे संविधान में दर्ज है. देश तभी तेज गति के साथ आगे बढ़ सकेगा, जब हमारी आबादी, हमारी मां, बहनों और बेटियों का राज्य और देश के उच्चतम निर्णायक पदों पर प्रतिनिधित्व रहेगा.'
उन्होंने लिखा है, 'इसी संदर्भ में मैं आपके नैतिक मन से विनती करता हूं कि संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण बिल पारित करने की दिशा में आप एक नेतृत्व करें. राज्य और देश के निर्णायक संस्थाओं में महिलाओं को जगह प्रदान करने में मैं अपनी सरकार की तरफ से पूरा समर्थन करने का आश्वासन करता हूं.'
और पढ़ें : महिलाओं को 33% आरक्षण देने वाला पहला राज्य बना ओडिशा, सीएम पटनायक ने बताया ऐतिहासिक दिन
बता दें कि महिला आरक्षण विधेयक या संविधान (108वीं संशोधन) विधेयक, 2008 संसद में कालातीत हो चुका है. महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के शासन काल में राज्यसभा में यह विधेयक पारित हुआ था और अभी लोकसभा में पारित होना बाकी है.
वर्तमान में, संसद के दोनों सदनों में महज 96 महिला सदस्य हैं। लोकसभा में 543 सदस्यों में सिर्फ 65 महिला सदस्य हैं और राज्यसभा के 243 सदस्यों में सिर्फ 31 महिला सदस्य हैं.
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