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कर्नाटक चुनाव परिणाम: कांग्रेस ने गोवा, मणिपुर से सीखा, आज़ाद और गहलोत को भेजा कर्नाटक

कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा के आसार हैं और जेडीएस किंगमेकर की भूमिका में आ सकती है। ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने रणनीतिक मोर्चे पर काम करना शुरू कर दिया है।

Updated on: 15 May 2018, 10:10 AM

नई दिल्ली:

कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा के आसार हैं और जेडीएस किंगमेकर की भूमिका में आ सकती है। ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने रणनीतिक मोर्चे पर काम करना शुरू कर दिया है।

गोवा और मणिपुर में ज्यादा सीटें मिलने के बाद भी सरकार बनाने में नाकाम रह जाने के बाद कांग्रेस ने सीख लेते हुए प्लान-बी पर काम कर रही है। परिणाम आने से पहले ही पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और अशोक गहलोत को बेगलुरू भेज दिया है।

कांग्रेस के अपने आतंरिक सर्वे में पार्टी को 111 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है। लेकिन बाकी सीटों के लिये पार्टी को जेडीएस या फिर निर्दलीय विधायकों का समर्थन लेना होगा।

इसके साथ ही कांग्रेस ने परिणाम आने से पहले ही सीएम सिद्धारमैया ने चुनाव के बाद दलित सीएम बनाने का कार्ड खेल दिया है और कहा है कि अगर कोई दलित सीएम बनता है तो उन्हें कोई ऐतराज नहीं होगा।

दरअसल कांग्रेस किसी भी तरीके से बीजेपी को सत्ता से दूर रखना चाहती है। अगर किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो बीजेपी या कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए जेडीएस का समर्थन लेना होगा।

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जेडीएस पहले ही साफ कर चुकी है कि वो धर्मनिरपेक्ष दल का साथ देगी। ऐसे में कांग्रेस दलित कार्ड के जरिए पूर्व पीएम देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस को साध सकती है ताकि किसी भी कीमत में वो बीजेपी के करीब न जा सकें।

इधर चुनावों के दौरान पीएम मोदी ने देवगौड़ा की तारीफ भी की थी और ऐसी संभावना जताई जा रही थी कि बीजेपी जेडीएस को साधने में लगी है।

कांग्रेस के लिए कर्नाटक इसलिए भी अहम है क्योंकि यही एक बड़ा राज्य अब कांग्रेस शासित रह गया है। ऐसे में अगर पार्टी हारी तो न सिर्फ कांग्रेस की साख को और बट्टा लगेगा बल्कि राहुल गांधी के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने के सपने को बड़ा झटका लगेगा।

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इधर बीजेपी अपने जीत के सिलसिले के जारी रखने को लेकर यहां भी आश्वस्त है। बीजेपी के सीएम उम्मीदवार येदयुरप्पा ने पार्टी की जीत का भरोसा जताते हुए सिद्धारमैया के दलित सीएम वाले बयान पर भी निशाना साधा है।

उन्होंने कहा, यही बयान सिद्धारमैया ने वोटिंग से 10-12 दिन पहले क्यों नहीं दिया। कांग्रेस को हार का डर सता रहा है इसलिए वो ऐसे बयान दे रही है।

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