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प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री पर बोले प्रशांत किशोर, 2-3 साल का समय दें, जनता तय करेगी सक्षम हैं या नहीं

आगामी लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने बड़ा मास्टरस्ट्रोक लगाया है. लंबे इंतज़ार के बाद गांधी परिवार की बेटी प्रियंका गांधी ने आखिरकार सक्रिय राजनीति में कदम रखा.

Updated on: 24 Jan 2019, 08:25 AM

नई दिल्ली:

आगामी लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने बड़ा मास्टरस्ट्रोक लगाया है. लंबे इंतज़ार के बाद गांधी परिवार की बेटी प्रियंका गांधी ने सक्रिय राजनीति में अपना पॉलिटिकल डेब्यू किया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने महासचिव के रूप में प्रियंका गांधी (पूर्वी उत्तर प्रदेश प्रभारी) और ज्योतिरादित्य सिंधिया (पश्चिमी उत्तर प्रदेश प्रभारी) के रूप में नियुक्त किया. पीएम मोदी की वाराणसी लोकसभा सीट और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पूर्व गोरखपुर संसदीय सीटें इसी क्षेत्र में आती हैं. फरवरी के पहले हफ्ते से प्रियंका पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपना कार्यभार संभालेंगी. आम चुनाव से पहले प्रियंका की नियुक्ति पर सियासी हलचल तेज़ हो गई है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी को पीएम उम्मीदवार के तौर पर उतारे जाने के कयास लगाए जा रहे हैं. ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि आगामी चुनाव में प्रियंका गांधी पीएम मोदी को टक्कर देंगी. प्रशांत किशोर ने इसे समय से पहले का फैसला बताया. जेडीयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें काम करने के लिए कुछ सालों का समय दिया जाए. इसके बाद देश की जनता तय करेगी कि वह जिम्मेदारियां संभालने में सक्षम हैं या नहीं.

उन्होंने कहा, 'अगर हम सोचते हैं कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह प्रियंका गांधी हो या कोई भी हो, सीमित समय अवधि में देश की सबसे पुरानी पार्टियों में से एक में बड़ा बदलाव ला सकता है, तो यह ठीक नहीं हो. प्रियंका गांधी को दो-तीन साल का समय दिया जाना चाहिए और उसके बाद, देश की जनता यह तय कर सकती है कि वह जिम्मेदारियां लेने में सक्षम होगी या नहीं.'

इससे पहले प्रशांत किशोर ने इस ऐलान के बाद प्रियंका गांधी को शुभकामनाएं दी थी. उन्होंने ट्वीट किया, 'भारतीय राजनीति में अब तक का बहुप्रतीक्षित पॉलिटिकल डेब्यू आखिरकार हो गया. जहां लोग एक तरफ इस फैसले के वक्त, उनकी भूमिका और पोजिशन पर बहस कर रहे हैं, मेरे लिए असली खबर ये है कि वो आखिरकार राजनीति में आने को तैयार हो गईं.'

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बता दें कि मध्य प्रदेश के गुना के सांसद ज्योदिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस महासचिव पश्चिमी उत्तर प्रदेश प्रभारी के रूप में नियुक्त किया गया है. ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि प्रियंका गांधी अगला लोकसभा चुनाव अपनी मां की संसदीय सीट रायबरेली से लड़ सकती हैं. वहीं महासचिव उत्तर प्रदेश रहे पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को हरियाणा की जिम्मेदारी दी गई है.

फेरबदल में राहुल गांधी ने केरल से लोकसभा सदस्य केसी वेणुगोपाल को कांग्रेस का महासचिव (संगठन) नियुक्त किया है. यह पद पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत संभाल रहे थे. अबतक राजनीति में प्रियंका गांधी वाड्रा उत्तर प्रदेश में अपने परिवार के सदस्यों के निर्वाचन क्षेत्रों में प्रचार अभियान तक सीमित थीं. उत्तर प्रदेश में लोकसभा की  80 सीटें हैं. पार्टी कार्यकर्ताओं की अटकलें हैं कि गांधी परिवार की सक्रिय राजनीति की विरासत रहीं प्रियंका गांधी अपनी मां सोनिया गांधी के निर्वाचन क्षेत्र राय बरेली से चुनाव लड़ सकती हैं.

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पार्टी नेताओं का कहना है कि राज्य की 80 सीटों की जिम्मेदारी सिंधिया और प्रियंका गांधी को 40-40 सीटों का जिम्मा सौंपा गया है. राजनीति में लंबे समय से प्रियंका गांधी पहले भी अपनी मां और भाई के साथ अहम फैसलों में शामिल रही हैं, जिनमें हाल ही में राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीगसढ़ के नये मुख्यमंत्रियों का चयन शामिल है. वह मनप्रीत बादल और नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस में शामिल कराने में अहम रही हैं.