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राफेल विवाद पर बोला रक्षा मंत्रालय, रिलायंस को चुनने में सरकार का रोल नहीं

रक्षा मंत्रालय ने अपने पुराने बयान को दोहराते हुए कहा, 'सरकार एक बार फिर से कह रही है कि रिलायंस डिफेंस को ऑफसेट पार्टनर चुनने में सरकार कोई हाथ नहीं है।'

Updated on: 23 Sep 2018, 06:48 AM

नई दिल्ली:

राफेल डील पर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के एक बयान के बाद आए राजनीतिक भूचाल के बीच भारत के रक्षा मंत्रालय की तरफ से स्पष्टीकरण जारी किया गया है. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के बयान को लेकर बेवजह का विवाद खड़ा हो गया है. दरअसल मीडिया ने पूर्व राष्ट्रपति ओलांद से राफेल डील में अंबानी की कंपनी के शामिल होने को लेकर सवाल किया था. जिसके जवाब में उन्होंने यह बात कही.

रक्षा मंत्रालय ने अपने पुराने बयान को दोहराते हुए कहा, 'सरकार एक बार फिर से कह रही है कि रिलायंस डिफेंस को ऑफसेट पार्टनर चुनने में सरकार कोई हाथ नहीं है. ऑफसेट पॉलिसी की घोषणा पहली बार 2005 में हुई थी, इसके बाद कई बार इसे रिवाइज भी किया गया.

रक्षा मंत्रालय ने कहा, 'फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद के बयान संबंधी रपट में कहा गया है कि भारत सरकार ने राफेल में डिसॉल्ट एविएशन के ऑफसेट पार्टनर के रूप में किसी खास निजी कंपनी की तरफदारी की. इसकी जांच की जा रही है.'

मंत्रालय ने कहा, "यह दो निजी कंपनियों के बीच पूरी तरह से वाणिज्यिक व्यवस्था है. संयोग से 2012 फरवरी की मीडिया रिपोर्ट बताती है कि दसॉ एविएशन ने, पूर्व सरकार द्वारा 126 विमान खरीद की सबसे कम बोली की घोषणा करने के दो सप्ताह के भीतर, रक्षा क्षेत्र में रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ साझेदारी का समझौता किया."

मंत्रालय ने कहा कि दसॉ एविएशन ने कहा एक विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि उसने कई कंपनियों के साथ साझेदारी का समझौता किया है और वह लगभग सौ अन्य कंपनियों के साथ बातचीत कर रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू जेट खरीद के सौदे की घोषणा की थी और 2016 में इस सौदे पर हस्ताक्षर हुए थे.

यूपीए सरकार ने इससे पहले 126 राफेल जेट खरीद के सौदा पर बात की थी, जिनमें 18 उड़ान के लिए तैयार दशा में आने थे और 108 का विनिर्माण लाइसेंस के तहत एचएएल द्वारा किया जाना था.

इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा प्रहार करने का सिलसिला जारी रखते हुए शनिवार को कहा कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने राफेल सौदे के संदर्भ में उन्हें 'चोर' कहा है, इसका उन्हें जवाब देना चाहिए और इस मुद्दे की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराई जाए.

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, 'पहली बार फ्रांस के एक पूर्व राष्ट्रपति ने हमारे प्रधानमंत्री को चोर कहा है. यह प्रधानमंत्री पद की गरिमा का सवाल है. यह हमारे जवानों और वायुसेना के भविष्य का सवाल है. प्रधानमंत्री के लिए यह बहुत ही जरूरी है कि वह अब ओलांद के बयान को स्वीकार करें या यह कहें कि ओलांद झूठ बोल रहे हैं और बताएं कि सच क्या है.'

उन्होंने कहा, 'मैं इसको लेकर स्तब्ध हूं कि प्रधानमंत्री पूरी तरह चुप हैं. इस मसले पर प्रधानमंत्री के मुंह से एक शब्द नहीं निकला है. यह बयान फ्रांस के राष्ट्रपति (पूर्व) की तरफ से आया है, जिन्होंने हमारे प्रधानमंत्री के साथ बैठक की थी, जहां राफेल सौदा तय हुआ.'

मोदी के खुद को 'चौकीदार' बताने का जिक्र करते हुए राहुल ने कहा, "उन्होंने अपने उद्योगपति दोस्त को 30,000 करोड़ रुपये का मुफ्त उपहार दिया है."

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कांग्रेस प्रमुख ने कहा, "लोगों के दिमाग में यह बैठ गया है कि देश का चौकीदार चोर है. उन्हें स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए."