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बूचड़खानों पर योगी सरकार को इलाहाबाद हाई कोर्ट से फटकार, कहा लोगों के खाने पर प्रतिबंध नहीं लगा सकती सरकार

जस्टिस, ए पी साही और जस्टिस संजय हरकोली की बेंच ने बिना लाइसेंस रिन्यू किए बूचड़खानों को बंद कराने पर चिंता भी जताई है।

Updated on: 06 Apr 2017, 02:01 PM

highlights

  • बूचड़खानों को लेकर यूपी सरकार को हाई कोर्ट से फटकार
  • खाने की आदतों पर प्रतिबंध नहीं लगा सकती सरकार: इलाहाबाद हाई कोर्ट 

नई दिल्ली:

यूपी में अवैध बूचड़खानों पर राज्य सरकार की कार्रवाई के बाद खेड़ी के एक मीट विक्रेता की याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि लोगों के खाने की आदत संविधान के आर्टिकल 21 में दिए गए जीवन के अधिकार के तहत आता है। इसलिए राज्य सरकार को किसी भी हालत में इस पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए।

जस्टिस, ए पी साही और जस्टिस संजय हरकोली की बेंच ने बिना लाइसेंस रिन्यू किए बूचड़खानों को बंद कराने पर चिंता भी जताई है।

बेंच ने इस सप्ताह के शुरूआती दिनों में इसको लेकर कानूनी और संवैधानिक प्रावधानों को आगे बढ़ाया था। कोर्ट ने कहा था कि अनुच्छेद 21 में देश के हर नागरिक को जीवन का अधिकार दिया गया है।

बूचड़खानों को लेकर उपजे विवाद पर हाई कोर्ट ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए सरकार के उच्चस्तरीय समिति को 10 अप्रैल तक का वक्त दिया है। बेंच ने इसके साथ ही ये भी कहा कि जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है उसे खाना गलत नहीं माना जा सकता। कोर्ट के मुताबिक खाद्य पदार्थों की उपलब्धता बनाए रखने के लिए ही राज्यों को अधिकार दिए गए हैं।

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हाई कोर्ट ने इस मामले में 13 अप्रैल तक राज्य सरकार को अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है।

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