logo-image

जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष होंगे देश के पहले लोकपाल, जज रहते हुए लिए थे ये अहम फैसलें

जस्टिस पीसी घोष करीब चार साल 8 मार्च 2013 से लेकर 27 मई 2017 तक सुप्रीम कोर्ट के जज रहे. सुप्रीम कोर्ट में रहते हुए कई अहम फैसलों में वो शामिल रहे है.

Updated on: 17 Mar 2019, 04:23 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष को देश का पहला लोकपाल बनाए जाने की रविवार को सिफारिश की गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, प्रख्यात कानूनविद मुकुल रोहतगी की चयन समिति ने उनका नाम तय किया और उसकी सिफारिश की. जस्टिस पीसी घोष करीब चार साल 8 मार्च 2013 से लेकर 27 मई 2017 तक सुप्रीम कोर्ट के जज रहे. सुप्रीम कोर्ट में रहते हुए कई अहम फैसलों में वो शामिल रहे है. 

जस्टिस पी सी घोष के कुछ अहम फैसले

- जयललिता के खिलाफ आय से अधिक सम्पति के मामले में उन्होंने शशिकला समेत बाकी आरोपियों को दोषी करार देने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा. हालांकि फैसला सुनाए जाने से पहले तक जयललिता की मौत हो चुकी.

- जस्टिस राधाकृष्णन के साथ वाली बेंच में रहते हुए उन्होंने जल्लीकट्टू और बैलगाड़ी दौड जैसी परपंरा को पशुओं के प्रति हिंसा मानते हुए उन पर रोक लगाई.

- अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस मामले में जस्टिस रोहिंटन नरीमन के साथ बेंच में रहते हुए उन्होंने निचली अदालत को बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्णआडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह और बाकी नेताओ पर आपराधिक साजिश की धारा के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया था.

- जस्टिस पीसी घोष, चीफ जस्टिस एच एल दत्तू और जस्टिस कलीफुल्ला के साथ उस बेंच के भी सदस्य थे, जिसने ये तय किया था कि केंद्रीय एजेंसी ( सीबीआई )की ओर से दर्ज मुकदमें में दोषी ठहराए गए राजीव गांधी के दोषियों की सज़ा माफी का अधिकार राज्य सरकार को नहीं है.

और पढ़ें: बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा, प्रधानमंत्री पद के लिए मायावती बेहतर

- जस्टिस घोष उस संविधान पीठ के भी सदस्य थे, जिसने अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन के फैसले को पलटते गए वहां पहली की स्थिति को बहाल किया था.

- सरकारी विज्ञापनों के लिए दिशा निर्देश तय करने वाली बेंच के भी वो सदस्य थे.