सिनेमाघरों में राष्ट्रगान को अनिवार्य किए जाने के खिलाफ SC में केंद्र का हलफनामा
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देते हुए सिनेमाघरों में राष्ट्रगान अनिवार्य नहीं किए जाने की वकालत की है।
highlights
- केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देते हुए सिनेमाघरों में राष्ट्रगान अनिवार्य नहीं किए जाने की वकालत की है
- सरकार ने कहा है कि सरकार ने इस मामले को लेकर अंतर मंत्रालयी समिति का गठन किया है जो छह महीने में अपनी रिपोर्ट देगी
नई दिल्ली:
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देते हुए सिनेमाघरों में राष्ट्रगान अनिवार्य नहीं किए जाने की वकालत की है।
पांच पन्नों के हलफनामे में गृह मंत्रालय ने कहा है कि सरकार ने इस मामले में सुझाव देने के लिए अंतर मंत्रालयी समिति का गठन किया है, जो इससे जुड़े सभी मुद्दों पर विचार करेगी। इस समिति की सिफारिश आने के बाद ही सरकार इस बारे में कोई सर्कुलर जारी कर सकेगी।
सरकार ने इससे पहले अपने हलफनामे में कहा था कि न केवल थिएटर में बल्कि शैक्षणिक संस्थानों में भी राष्ट्रगान को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि 30 नवंबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान को अनिवार्य तौर पर बजाए जाने और इस दौरान मौजूद सभी व्यक्तियों को खड़ा होने का भी आदेश दिया था।
इस बीच सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से 30 नवंबर 2016 के आदेश की पहले की स्थिति बहाल किए जाने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट इससे पहले सिनेमाघरों में अनिवार्य तौर पर राष्ट्रगान दिखाए जाने के अपने फैसले में किसी तरह के संशोधन से मना करते हुए केंद्र से इस मामले में फैसला लिए जाने का निर्देश दे चुका है।
केरल फिल्म सोसाइटी ने 30 नवंबर के आदेश को वापस लेने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इस पर केंद्र को फैसला लेने का निर्देश दिया था।
याचिकाकार्ता ने सिनेमा हॉल को मनोरंजन की जगह बताते हुए राष्ट्रगान बजाने के आदेश का विरोध किया था, जिससे जस्टिस चंद्रचूड़ से सहमत नजर आए थे।
हालांकि अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट के आदेश का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि देश के लोगों में राष्ट्रीयता की भावना जगाने में ऐसे फैसलों से मदद मिलती है और सुप्रीम कोर्ट को ऐसे फैसले देने का अधिकार है।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'लोग सिनेमा हॉल में मनोरंजन के लिए जाते हैं और उन्हें बिना किसी रूकावट के मनोरंजन मिलना चाहिए।' उन्होंने कहा, 'कल कोई इस तरह की मांग भी कर सकता है कि लोग हाफ पैंट, टी शर्ट में राष्ट्रगान गाते हैं इससे राष्ट्रगान का अपमान होता हैं।'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नैतिकता की ठेकेदारी करने के लिए नहीं बैठे हैं।
और पढ़ें: LGBT मामले में धारा 377 की संवैधानिक वैधता की जांच करेगा SC
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