logo-image

आपराधिक मामलों में डीएनए टेस्ट पर विधेयक लोकसभा में पेश

इसमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत बताई गई है कि डीएनए जांच के परिणाम विश्वसनीय हों और निजता के अधिकार के मामलों में डाटा का दुरुपयोग न हो।

Updated on: 09 Aug 2018, 06:40 PM

नई दिल्ली:

सरकार ने गुरुवार को डीएनए प्रौद्योगिकी विनियामक विधेयक 2018 लोकसभा में पेश किया। इस विधेयक में दुसाध्य अपराधिक मामलों की जांच के लिए डीएनए आधारित फोरेंसिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का प्रावधान किया गया है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन ने डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग व अनुप्रयोग) विनियामक विधेयक लोकसभा में पेश किया। विपक्ष के कुछ सदस्यों की चिंताओं के संबंध में उन्होंने कहा कि विधेयक का परीक्षण विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा किया गया है। 

विधेयक में देश के विभिन्न भागों में लापता व्यक्तियों और पहचान किए गए शव के बीच समानता स्थापित करने और आपदाओं के शिकार लोगों की पहचान सुगम बनाने के प्रावधानों को शामिल किया गया है। 

इसमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत बताई गई है कि डीएनए जांच के परिणाम विश्वसनीय हों और निजता के अधिकार के मामलों में डाटा का दुरुपयोग न हो।

और पढ़ें:  1991 के आर्थिक सुधारों ने भारत को बनाया वैश्विक अर्थव्यवस्था का लीडर: पूर्व पीएम मनमोहन सिंह 

हत्या, दुष्कर्म, मानव तस्करी या गंभीर चोट, चोरी, सेंधमारी व डकैती जैसे आपराधिक मामलों में फोरेंसिक डीएनए (डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) प्रोफाइल का महत्व प्रमाणित हो चुका है। 

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2016 की रिपोर्ट के अनुसार देश में ऐसे आपराधिक मामलों की घटनाएं हर साल तीन लाख से ज्यादा होती हैं। 

अधिकारियों के अनुसार, वर्तमान में बहुत कम अपराधों में डीएनए जांच होती है।