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सरवाईकल कैंसर को लेकर हुआ बड़ा खुलासा, इन लोगों को होता है सबसे ज्यादा खतरा

इंटरनेशनल एजेन्सी फॉर रीसर्च ऑफर कैंसर द्वारा जारी एक रपट के अनुसार, इसके मामलों की दर 6.6 फीसदी तथा मृत्यु दर 7.5 फीसदी है.

Updated on: 04 Feb 2019, 04:21 PM

नई दिल्ली:

पैथोलॉजी लैब एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स द्वारा सरवाईकल कैंसर स्क्रीनिंग के लिए एचपीवी (ह्यूमन पैपीलोमा वायरस) जांच के विश्लेषण में पता चला है कि 31-45 वर्ष आयुवर्ग की महिलाओं में हाई-रिस्क एचपीवी के सबसे ज्यादा (47 फीसदी) मामले पाए गए हैं. यानी इनमें सरवाईकल कैंसर की संभावना बहुत अधिक है. इसके बाद 16-30 वर्ष आयुवर्ग के 30 फीसदी मामलों में हाई-रिस्क एचपीवी पॉजिटिव पाया गया है. लैब की तरफ से जारी एक बयान के अनुसार, हाई रिस्क एचपीवी संक्रमण के लिए 2014 से 2018 के बीच देश भर में 4500 महिलाओं की ग्लोबल स्टैण्डर्ड मॉलिक्यूलर तरीके से जांच की गई. इनमें से कुल 8 फीसदी महिलाओं में हाई-रिक्स एचपीवी संक्रमण पाया गया.

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बयान में लैब के आर एंड डी और मॉलीक्यूलर पैथोलोजी के एडवाइजर और मेंटर डॉ बी.आर. दास ने कहा है, "एचपीवी वायरसों का एक समूह है, जो दुनिया भर में आम है. एचपीवी के 100 से ज्यादा प्रकार हैं, जिनमें से 14 कैंसर कारक (हाई रिस्क टाईप) हैं. एचपीवी यौन संपर्क से फैलता है और ज्यादातर लोग यौन क्रिया शुरू करने के कुछ ही समय बाद एचपीवी से संक्रमित हो जाते हैं." दास ने कहा कि "सरवाईकल कैंसर यौन संचारी संक्रमण है, जो विशेष प्रकार के एचपीवी से होता है. सरवाईकल कैंसर और प्रीकैंसेरियस घाव के 70 फीसदी मामलों का कारण दो प्रकार के एचपीवी (16 और 18) होते हैं." बयान के अनुसार, सरवाईकल कैंसर दुनिया भर में महिलाओं में कैंसर के कारण होने वाली मौतों का चौथा सबसे बड़ा कारण है.

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इंटरनेशनल एजेन्सी फॉर रीसर्च ऑफ कैंसर द्वारा जारी एक रपट के अनुसार, इसके मामलों की दर 6.6 फीसदी तथा मृत्यु दर 7.5 फीसदी है. मानव विकास सूचकांक में सरवाईकल कैंसर के मामलों और इसके कारण मृत्यु दर स्तन कैंसर के बाद दूसरे स्थान पर है. बयान के अनुसार, सरवाईकल कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए मुख्य टेस्ट हैं- पारम्परिक 'पैप स्मीयर' और 'लिक्विड बेस्ड सायटोलोजी टेस्ट', 'विजुअल इन्स्पैक्शन विद एसीडिक एसिड' और 'एचपीवी टेस्टिंग फॉर हाई रिस्क एचपीवी टाईप'. डॉ. दास ने कहा, "एक अनुमान के मुताबिक सरवाईकल कैंसर अल्प विकसित क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं में कैंसर का दूसरा सबसे आम प्रकार है. 2018 में सरवाईकल कैंसर के कारण 3,11,000 महिलाओं की मृत्यु हुई, जिनमें से 85 फीसदी से ज्यादा मौतें निम्न एवं मध्यम आय वर्ग वाले देशों में हुईं. लेकिन सरवाईकल कैंसर एकमात्र कैंसर है, जिसकी रोकथाम संभव है, अगर शुरुआती अवस्था में ही इसके लिए प्रयास किए जाएं."