पीएम नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दिए जाने के मामले में CEC और चुनाव आयुक्त आमने-सामने
चुनाव आयोग द्वारा पीएम मोदी को विवादित बयानों के मामले में क्लीन चिट दिए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है.
नई दिल्ली:
चुनाव आयोग द्वारा पीएम मोदी को विवादित बयानों के मामले में क्लीन चिट दिए जाने का मामला तूल पकड़ते जा रहा है. चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने 4 मई को लिखे अपने पत्र में दावा किया था, 'जब से अल्पमत को रिकॉर्ड नहीं किया गया तब से लेकर मुझे कमीशन की मीटिंग से दूर रहने के लिए दबाव बनाया गया.' लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखा था और कहा था, 'जब से मेरे अल्पमत को रिकॉर्ड नहीं किया गया तब से कमीशन में हुए विचार-विमर्श में मेरी भागीदारी का अब कोई मतलब नहीं है.'
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इसके बाद शनिवार को मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बयान जारी कर कहा कि चुनाव आयोग के 3 सदस्यों को एक-दूसरे के टेम्पलेट या क्लोन होने की उम्मीद नहीं है. कई बार ऐसा हुआ है जब विचारों में मतभेद रहते हैं. यह हो सकता है और होना चाहिए.
CEC Sunil Arora issues statement on EC Ashok Lavasa's purported letter to him: The 3 members of EC are not expected to be template or clones of each other, there have been so many times in the past when there has been a vast diversion of views as it can, and should be. (1/3) pic.twitter.com/cAAvcHIA44
— ANI (@ANI) May 18, 2019
बता दें चुनाव आयोग की मीटिंग में शामिल होने से साफ मना कर दिया है. लवासा ने यह फैसला अल्पमत के फैसले को रिकॉर्ड नहीं किए जाने के विरोध में लिया. लवासा ने कहा, 'मीटिंग में जाने का कोई मतलब नहीं है इसलिए दूसरे उपायों पर विचार कर सकता हूं.' चुनाव आयोग ने पीएम मोदी को 6 मामलों में किसी भी पोल कोड के उल्लंघन का दोषी नहीं माना था. चुनाव आयोग (Election Commission) की तीन सदस्यीय कमीशन में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और दो चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और सुशील चंद्रा शामिल थे.
Chief Election Commissioner Sunil Arora issues statement on EC Ashok Lavasa's purported letter to him, says, 'an unsavory and avoidable controversy reported in sections of media today about internal functioning of ECI in respect of handling of Model Code of Conduct.' (3/3) pic.twitter.com/yuRxOHMaGL
— ANI (@ANI) May 18, 2019
इस पूरे मामले पर आर मुख्य चुनाव आयुक्त, सुनील अरोड़ा ने पुष्टि की कि अशोक लवासा ने उन्हें पत्र सौंपा है. अरोड़ा ने कहा कि यह आंतरिक विवाद है लेकिन अव्यवाहारिक है. जब तक संबंधित ईसीएस / सीईसी द्वारा लिखित पुस्तक में दिखाई नहीं देता तब तक काफी हद तक ईसीआई के दायरे में रहता है.जब भी आवश्यकता होती है मैं व्यक्तिगत रूप से सार्वजनिक बहस से कभी नहीं कतराता हूं लेकिन हर चीज के लिए समय होता है.
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