दिग्गज अभिनेता और नाटककार गिरीश कर्नाड का 81 साल की उम्र में निधन, पीएम मोदी ने जताया दुख
गिरीश कर्नाड की आखिरी फिल्म 'टाइगर जिंदा है' थी.
नई दिल्ली:
दिग्गज अभिनेता और नाटककार, और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित गिरीश कर्नाड का आज सुबह निधन हो गया. गिरीश कर्नाड की आखिरी फिल्म 'टाइगर जिंदा है' थी. जिसमें अभिनेता सलमान खान के बॉस के रूप में सामने आए थे और फिल्म में टाइगर यानी सलमान को अलग-अलग मिशन पर भेजते नज़र आए थे. जाने माने लेखक और कन्नड़ रंगमंच के पुरोधा गिरीश काफी समय से बीमार चल रहे थे और उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गिरीश कर्नाड के निधन पर दुख जताया उन्होंने कहा, गिरीश कर्नाड को सभी माध्यमों में बहुमुखी अभिनय के लिए याद किया जाएगा. पीएम ने कहा, प्रिय लगने वाले कारणों पर भी उन्होंने भावुकता से बात की. उनके काम आने वाले वर्षों में और लोकप्रिय होते रहेंगे. पीएम ने कहा, उनके निधन से दुखी हूं उनकी आत्मा को शांति मिले.
PM Narendra Modi: Girish Karnad will be remembered for his versatile acting across all mediums. He also spoke passionately on causes dear to him. His works will continue being popular in the years to come. Saddened by his demise. May his soul rest in peace. pic.twitter.com/ezNYXLypdv
— ANI (@ANI) June 10, 2019
वहीं कर्नाटक सरकार ने गिरीश कर्नाड के सम्मान में एक दिन की छुट्टी और 3 दिन का शोक घोषित किया. कर्नाड के निधन से सिनेमा और साहित्य जगत में शोक की लहर है. गिरीश ने कन्नड़ फिल्म संस्कार (1970) से अपना एक्टिंग और स्क्रीन राइटिंग डेब्यू किया था. इस फिल्म ने कन्नड़ सिनेमा का पहले प्रेजिडेंट गोल्डन लोटस अवार्ड जीता था. बॉलीवुड में उनकी पहली फिल्म 1974 में आयी जादू का शंख थी. गिरीश कर्नाड को सलमान खान की फिल्म एक था टाइगर और टाइगर ज़िंदा है के लिए जाना जाता है. इसके अलावा उन्होंने बॉलीवुड फिल्म निशांत (1975), शिवाय और चॉक एन डस्टर में भी काम किया था.
गिरीश कर्नाड को 1978 में आई फिल्म भूमिका के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला था. उन्हें 1998 में साहित्य के प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ अवॉर्ड से नवाजा गया था. गिरीश कर्नाड ऐसे अभिनेता हैं जिन्होंने कमर्शियल सिनेमा के साथ समानांतर सिनेमा के लिए भी काम किया.
गिरीश कर्नाड बहुंमुखी प्रतिभा के धनी थे. 1960 के दशक में नाटकों के लेखन से कर्नाड को लोग पहचानने लगे. कन्नड़ नाटक लेखन में गिरीश कर्नाड की वही भूमिका है जो बंगाली में बादल सरकार, मराठी में विजय तेंदुलकर और हिंदी में मोहन राकेश जैसे दिग्गज नाटककारों की थी. लगभग चार दशक से ज्यादा समय तक कर्नाड ने नाटकों के लिए जमकर काम किया. कर्नाड ने अंग्रेजी के भी कई प्रतिष्ठित नाटकों का अनुवाद किया. कर्नाड के नाटक कई भारतीय भाषाओं में अनुदित हुए. कर्नाड ने हिंदी और कन्नड़ सिनेमा में अभिनेता, निर्देशक और स्क्रीन राइटर के तौर पर काम किया. उन्हें पद्मश्री और पद्म भूषण का सम्मान मिला. कर्नाड को चार फिल्म फेयर अवॉर्ड भी मिले.
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