महानायक अमिताभ बच्चन को भी है अपनी दाल-रोटी की चिंता, इंटरव्यू में बताई कहानी
हाल ही बिग बी फिल्म बदला में वकील की भूमिका में नजर आए
नई दिल्ली:
एक लंबे समय से कानों में यह कड़क आवाज एक खास तरह का अहसास करा रही है. यह देश की सर्वाधिक मूल्यवान, भारी भरकम आवाज है, अकेली और अनोखी. जब वह अपनी नई थ्रिलर 'बदला' का एक संवाद बोलते हैं, दमदार आवाज मेरे कानों में गूंज उठती है, झनझना उठती है -'मैं वो 6 देखूं जो तुम दिखा रही हो या वो 9 जो मुझे देखना है'.
इस आवाज की अपने आप में एक खासियत है. इसे सजाने-संवारने के लिए किसी और तकनीक की जरूरत नहीं है. अमिताभ बच्चन और उनके शिल्प ने आज कई पीढ़ियों पर राज किया है. इस फिल्मोद्योग में वह 50 साल पूरे कर चुके हैं.
अमिताभ ने अपने साक्षात्कार में कहा कि वह सबसे पहले एक घटना को लेकर एक संदेश देना चाहते हैं, जिसने उन्हें हाल ही में अपार पीड़ा पहुंचाई है. "सबसे पहले भरे दिल से हम पुलवामा हमले में शहीद हुए अपने वीर जवानों के लिए और हर क्षण हमारी सुरक्षा के लिए लड़ने वाले बहादुर जवानों के लिए शोक संवेदना जाहिर करते हैं और उनके लिए प्रार्थना करते हैं."
साक्षात्कार के दौरान कई ऐसे तथ्य रहे, जिनपर हमारे समय के सर्वाधिक लोकप्रिय फिल्म स्टार ने ठंडे, सुस्त जवाब दिए, लेकिन उनमें विनम्रता हमेशा बनी रही. स्पष्ट कहा जाए तो उनके लिए आभा और प्रशंसा कोई मायने नहीं रखती, लेकिन दूसरे लोग, उनके प्रशंसक कुछ और सोच सकते हैं. विशेषण, अतिशयोक्ति और शब्दाडंबर उनके रास्ते में आए, लेकिन उन्होंने उसे अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया. अभी भी लोग उनके मुरीद हैं. उनके भीतर का इंकलाब (उनके जन्म के समय पिता हरिवंश राय बच्चन ने उन्हें यह नाम दिया था, लेकिन बाद में बदलकर अमिताभ कर दिया) अभी भी शांत नहीं पड़ा है, और वह एक पूर्ण अभिनेता को तलाश रहा है.
ऐसे अमिताभ से हुई बातचीत के अंश इस प्रकार हैं :
-आप 50 साल की अपनी इस यात्रा को किस रूप में लेते हैं, जब अब्बास साहेब आपको कलकत्ता से यहां लाए था और 'सात हिंदुस्तानी' में से एक किरदार के लिए चुना था? और यह यात्रा सुजोय घोष और 'बदला'.. तक पहुंच चुकी है!
एक दिन के बाद दूसरा दिन आता है और उसी तरह दूसरा काम भी. लेकिन मैंने अतीत में सुजोय के साथ काम किया है. कहानी और निर्देशक मुझे पसंद है, कहानी में जो सस्पेंस और थ्रिल है, उसने मुझे प्रभावित किया. सुजोय ने कहानी बनाई है और वह बेचैन हैं. वह अपने कलाकारों से परफेक्शन चाहते हैं, वह अपनी विचार प्रक्रिया को लेकर और उसे साकार करने को लेकर बहुत स्पष्ट हैं. वह सिनेमा के व्याकरण की बहुत अच्छी समझ रखते हैं.
- आप ने महान निर्देशकों और अभिनेताओं के साथ काम किया है. क्या आप मानते हैं कि हृषिदा और प्राण आप के पसंदीदा हैं, दोनों अलग-अलग तरीके से आपके लिए भाग्यशाली थे..आप ने हृषिदा के साथ 10 फिल्में कीं?
जिस भी निर्देशक, अभिनेता, लेखक, निर्माता, सहयोगी के साथ मैंने काम किया, सभी मेरे लिए पसंदीदा रहेंगे..
- इन दिनों रणवीर सिंह अपनी भूमिकाओं को बेहतरीन तरीके से जी रहे हैं..मेरा मानना है कि आपकी कई भूमिकाओं के लिए काफी तैयारी की जरूरत रही होगी, उदाहरण के लिए 'पा' या 'ब्लैक' में..क्या आप इस तरह की कठिन भूमिकाओं के लिए अपने शिल्प के बारे में कुछ बताएंगे?
मेरे पास कोई शिल्प नहीं है और न तो यही पता है कि दूसरे लोग अच्छा काम करते हैं तो उसके लिए क्या और कैसे करते हैं.. मैं लेखक के लिखे शब्दों का और निर्देशकों के निर्देशों का यथासंभव सावधानी से अनुसरण करता हूं. 'ब्लैक' के लिए हमने दिव्यांगों की सांकेतिक भाषा सीखी. 'बदला' एक अलग तरह की एक थ्रिलर है, जो वर्षो से आज भी हमें बांध कर रखती है. मेरी पीढ़ी के कुछ लोगों के लिए 'महल' स्मृतियों में बनी हुई है, क्योंकि यह 1949 की एक ऐतिहासिक छाप वाली फिल्म थी, जिसमें अशोक कुमार और मधुबाला ने काम किया था और इसका संगीत मौलिक था. दोनों हिंदी सिनेमा के मजबूत ताने-बाने का हिस्सा रहे हैं. (अमिताभ ने भी अपने शुरुआती समय में दो बहुत जोरदार संस्पेस थ्रिलर 'परवाना' और 'गहरी चाल' में काम किया था).
- 'सात हिंदुस्तानी' के बाद के वर्षो में कई फिल्में फ्लाप हुई, लेकिन कोई मौलिक काम, यहां तक कि सुनील दत्त की 'रेशमा और शेरा' की कोई छोटी-सी भूमिका, या 'आनंद' से पहले की किसी फिल्म के अनुभव को याद करना चाहेंगे?
सिर्फ यही इच्छा रहती थी कि कोई दूसरा काम मिले. अधिकांश बार असफलता ही मिली.
- क्या आपको यह सच्चाई परेशान करती है कि आज के अभिनेता अपनी फिल्मों के लिए प्रचार के लिए काफी मेहनत करते हैं और उसमें काफी समय और ऊर्जा लगाते हैं, जबकि आपके समय में ऐसा नहीं था, जब आप निर्विवाद शहंशाह थे. ये सारी चीजें क्यों और कैसे बदल गईं?
आप कहीं भी देखिए, महोदय यह स्थिति सिर्फ अभिनेताओं के ही साथ नहीं है. बल्कि क्या आज के समय में हर कोई अपनी दाल-रोटी के लिए मेहनत नहीं कर रहा है?
- आपके समय में एक कलाकार की साल में आठ फिल्में रिलीज होती थी. आज अभिनेता साल में या दो साल में एक फिल्म करते हैं. क्या नए युग के व्यवसाय का यह तरीका है?
यह बेहतर प्रबंधन की एक मान्यता है, वित्तीय और व्यक्तिगत दोनों की. अच्छी बात यह है कि संगीत और मेलोडी हिंदी सिनेमा में वापस लौट आए हैं. हर कोई संगीत का आनंद ले रहा है. संगीत हमारी आत्मा को छू रहे हैं.
- समानांतर सिनेमा के समय से लेकर 'राजी' और 'बधाई हो' जैसे छोटे सिनेमा तक, सभी अपनी जगह बना रहे हैं. हिंदी सिनेमा कैसे विकसित हुआ? क्या हिंदी फिल्मों के दर्शकों की रुचि बदल गई है?
मुझे नहीं पता समानांतर सिनेमा क्या है. सिनेमा सिर्फ सिनेमा है. आकार और परिधि, छोटा-बड़ा कपड़े नापने के पैमाने हैं. दुनिया के हर कोने में हर पीढ़ी की रुचि बदल गई है, सिर्फ फिल्म में ही नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Sonam Kapoor Postpartum Weight Gain: प्रेगनेंसी के बाद सोनम कपूर का बढ़ गया 32 किलो वजन, फिट होने के लिए की इतनी मेहनत
-
Randeep Hooda: रणदीप हुडा को मिला लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार, सोशल मीडिया पर जताया आभार
-
Kajol Workout Routine: 49 की उर्म में ऐसे इतनी फिट रहती हैं काजोल, शेयर किया अपना जिम रुटीन
धर्म-कर्म
-
Vikat Sanakashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कब? बस इस मूहूर्त में करें गणेश जी की पूजा, जानें डेट
-
Shukra Gochar 2024: शुक्र ने किया मेष राशि में गोचर, यहां जानें किस राशि वालों पर पड़ेगा क्या प्रभाव
-
Buddha Purnima 2024: कब है बुद्ध पूर्णिमा, वैशाख मास में कैसे मनाया जाएगा ये उत्सव
-
Shani Shash Rajyog 2024: 30 साल बाद आज शनि बना रहे हैं शश राजयोग, इन 3 राशियों की खुलेगी लॉटरी