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Lok Sabha Election: NDA ने सीट शेयरिंग को लेकर साफ की रणनीति, अब INDI गठबंधन की बारी, ये रहेगा फॉर्मूला

लोकसभा चुनाव में एनडीए की ओर से सीट शेयरिंग की जा चुकी है. अब INDI गठबंधन के सामने यह बड़ा मसला है. कांग्रेस के साथ वाम दलों को लेकर आरजेडी को ​बड़ी भूमिका निभानी होगी.

Updated on: 19 Mar 2024, 06:22 AM

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव को लेकर एनडीए ने तो अपने पत्ते खोल दिए हैं. अब INDI गठबंधन की बारी है. बिहार के राजनीतिक गलियारों में गठबंधन में क्या होगा, इसे लेकर चर्चा हो रही है. दरअसल, बिहार में आरजेडी का पलड़ा भारी है. सीट शेयररिंग में  तेजस्वी यादव की चलने वाली है. तेजस्वी का दावा है कि जल्द यह मसला आसानी से सुलझा लिया जाएगा. सूत्रों के अनुसार,  इसी सप्ताह INDI गठबंधन के अंदर सीट शेयरिंग को लेकर ऐलान हो सकता है. 

आपको बता दें कि सीट शेयरिंग के मामले में आरजेडी लीड ले रही है. ऐसे में सीटों के बंटवारें में कांग्रेस के साथ अन्य पार्टियों को आरजेडी के प्लान पर सहमति देनी होगी बीते लोकसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस सिर्फ एक सीट यहां से जीती थी. ऐसे में उसके अंदर संकोच और संशय की स्थिति देखी जा रही है. कांग्रेस को ये पता है कि सीटों के मामले में राजद उससे कहीं आगे है. 

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कांग्रेस इतनी सीटों पर हो सकती है तैयार 

बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह का कहना है कि पार्टी ने पिछले लोकसभा चुनाव में 10 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. ऐसे में 10 या उससे अधिक सीटे उन्हें मिल सकती हैं. हालांकि बात न बिगड़े इसलिए कांग्रेस सीट शेयरिंग में काफी लचीलापन अपना रही है. एक सीट अगर कम ज्यादा रह भी जाए तो उसे फर्क नहीं पड़ता है. पिछले लोकसभा चुनाव में 10 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस को अगर 9 सीट मिल जाए तो वह इसके लिए भी तैयार हो जाएगी. क्योंकि वह किसी तरह का विवाद नहीं चाहती है. 

वाम दलों की है अपनी अलग मांग

वहीं वाम दलों ने भी सीट शेयरिंग के मामले में अपनी हिस्सेदारी ज्यादा कर दी है. भाकपा माले ने 8 सीटों पर चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं. वहीं वाम दलों को तीन सीट चाहिए. बहरहाल अंतिम निर्णय मल्लिकार्जुन खड़गे और लालू प्रसाद यादव को लेना होगा. मगर सीट शेयरिंग जल्द से जल्द हो, ऐसा महागठबंधन का सबसे बड़ा दल कांग्रेस चाहता है. वहीं सबसे बड़ा सवाल पशुपति पारस और मुकेश साहनी को लेकर है. अगर पशुपति कुमार पारस राष्ट्रीय जनता दल से हाथ मिलाते हैं तो ये महागठबंधन के लिए अच्छा संकेत होगा. हालांकि इसको लेकर अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है.