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UP चुनाव: सोनभद्र में घर की लड़ाई, कांग्रेस-BJP से भाभी और ननद में ठनी

सोनभद्र घोरावल विधानसभा सीट (Ghorawal Assembly Constituency) पर एक ही राजघराने की ननद-भाभी दो अलग पार्टियों से चुनाव मैदान में टकरा रही हैं. भाभी विदेश्वरी सिंह कांग्रेस की उम्मीदवार हैं, जबकि ननद दीक्षा ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली है.

Updated on: 03 Mar 2022, 02:59 PM

highlights

  • घोरावल विधानसभा सीट लहरों के खिलाफ चलने के लिए जाना जाता है
  • एक ही राजघराने की ननद-भाभी दो अलग पार्टियों से टकरा रही हैं
  • ननद या भाभी एक-दूसरे के खिलाफ किसी प्रकार का बयान देने से बच रही हैं

सोनभद्र:

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) में राजनीतिक टकराव की दिलचस्प मिसालें सामने आ रही हैं. चुनाव मैदान में एक ही परिवार के दो सदस्य अलग-अलग पार्टियों से ताल ठोंकते दिख रहे हैं. कहीं पिता और पुत्री, कहीं पिता-पुत्र तो कहीं साला-बहनोई तो कहीं ननद-भाभी एक ही परिवार से होकर अलग-अलग राजनीतिक दलों की टिकट पर आमने-सामने हैं. सोनभद्र घोरावल विधानसभा सीट (Ghorawal Assembly Constituency) पर एक ही राजघराने की ननद-भाभी दो अलग पार्टियों से चुनाव मैदान में टकरा रही हैं. भाभी विदेश्वरी सिंह कांग्रेस की उम्मीदवार हैं, जबकि ननद दीक्षा ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता लेकर घर में ही उनका विरोध शुरू कर दिया है.

सोनभद्र की घोरावल सीट पर अगोरी-बड़हर राजघराने की बहू विदेश्वरी सिंह को कांग्रेस ने टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा. बताया जाता है कि इस टिकट की दावेदार उनकी ननद दीक्षा सिंह थीं. उन्हें टिकट नहीं मिला तो लखनऊ पहुंचकर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया. ऐसे में राजघराने से ताल्लुक और प्रभाव रखने वालों के सामने धर्मसंकट की स्थिति है. एक तरफ राजघराने की बहू हैं तो दूसरी तरफ बेटी. लोग किसका साथ देते हैं यह तो 10 मार्च को मतगणना के बाद पता लगेगा. लेकिन चुनाव प्रचार अभियान के बीच जुबानी जंग दिलचस्प हो गई है.

ननद की दावेदारी, कांग्रेस से भाभी को मिला टिकट

जानकारी के मुताबिक बड़हर राजघराने के कुंवर अभ्युदय ब्रह्मशाह के निधन के बाद उनकी पत्नी विदेश्वरी सिंह अपने मायके राजस्थान चली गई थीं. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस से टिकट मिलने के बाद ससुराल वापस आई हैं. लौटते ही उन्होंने अपने प्रचार अभियान को तेज कर दिया है. वहीं, इस सीट से कांग्रेस के टिकट की दावेदार राजकुमारी दीक्षा की झोली खाली रह गई. इसके बाद उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा का दामन थामकर एक बड़ा राजनीतिक संदेश दे दिया. हालांकि भाजपा में आने के बाद अब तक दीक्षा ने अपनी भाभी के खिलाफ चुनावी प्रचार नहीं किया है. 

ननद-भाभी ने बताया घर का मामला, बयान से इनकार

चुनावी मैदान में भाभी के खिलाफ किसी प्रकार का बयान देने से ननद बचती दिख रही हैं. ऐसे सवालों को वह घर का मामला बताकर टाल देती हैं. दूसरी ओर भाभी भी ननद के खिलाफ खुलकर कुछ बोलने से परहेज करती दिख रही हैं. विदेश्वरी सिंह ने घर के अंदरूनी मामलों में किसी प्रकार के बयान से इनकार करते हुए दीक्षा को नई राजनीतिक पारी की शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि सर्व समाज की तरक्की की बात केवल कांग्रेस कर सकती है. इसलिए हम इस पार्टी के साथ हैं. वहीं ननद दीक्षा का कहना है कि पिता लंबे समय तक कांग्रेस से जुड़े रहे, उनको उचित सम्मान नहीं मिला. भाजपा सरकार सबसे बेहतर कार्य कर रही है. इसलिए हमने सदस्यता ली है.

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लहरों के खिलाफ चलने के लिए मशहूर है घोरावल सीट

घोरावल विधानसभा सीट का मिजाज लहरों के खिलाफ चलने के लिए जाना जाता है. अगोरी किले का जनसंघ काल से नाता रहा है. बड़हर राज के राजा आनंद ब्रह्मशाह ने साल 1957 में रॉबर्ट्सगंज सीट से चुनाव लड़ा था और जीते थे. कांग्रेसी लहर के बाद भी उन्होंने इस सीट को अपने कब्जे में किया था. अब उनकी बहू विदेश्वरी सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रही हैं. वहीं दीक्षा ने भाजपा का दामन थाम लिया है. सीट पर सातवें और आखिरी चरण में सात मार्च को मतदान होने वाला है.