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Assembly Election 2023: जानें पांच राज्यों के चुनाव में BJP और कांग्रेस की रणनीति, क्या यहां खिलेगा कमल?

Assembly Election 2023: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को राजनीतिक विशेषज्ञ अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल मान रहे हैं, आइए जानते हैं हर राज्य के समीकरण

Updated on: 16 Oct 2023, 02:30 PM

नई दिल्ली:

Assembly Election 2023: भाजपा और कांग्रेस पार्टी पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई है. इसमें तीन राज्य ऐसे हैं जहां दोनों पार्टियां सीधे तौर पर आमने सामने हैं. राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम मे अगले माह होने वाले चुनाव के लिए कांग्रेस और भाजपा के बीच तलवारें खिंच चुकी हैं. इन पांच राज्यों की बात करें तो भाजपा की सिर्फ मध्यप्रदेश में सरकार है. वहीं राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने कमान संभाली हुई है. तेलंगाना की बात करें तो यहां पर भाजपा की धुर विरोधी पार्टी बीआरएस. वहीं मिजोरम में गठबंधन सरकार है. ऐसे में भाजपा के लिए खोने को मात्र मध्य प्रदेश है. वहीं कांग्रेस के लिए राजस्थान और छत्तीसगढ़ है. पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को राजनीतिक विशेषज्ञ अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल बता रहे हैं. 

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भाजपा को राजस्थान में बड़े बदलाव की उम्मीद  

राजस्थान में लोकसभा की 25 सीटें हैं. भाजपा के लिए ये राज्य सबसे अहम है. यहां पर भाजपा ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में सभी 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में 24 सीटें उसे हासिल हुई थीं. हालांकि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद भी 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा पर कोई नाकारात्मक असर नहीं हुआ था. इससे यह तय हो गया कि लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के लिए यहां पर अलग-अलग मत है. राजस्थान में नरेंद्र मोदी के लिए अलग वोट बैंक है. यहां पर विधानसभा और लोकसभा के चुनावी ट्रेंड एक जैसे नहीं होते हैं. 

भाजपा चाहती है कि राजस्थान में सत्ता हासिल करने के साथ लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करे. यही कारण है कि भाजपा विधानसभा चुनाव जीतने को लेकर पूरी ताकत झोंक रही है. यहां पर उसने कोई सीएम चेहरा सामने नहीं रखा है. वह नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने जा रही है. 

मध्य प्रदेश को बचाने की कोशिश में भाजपा 

मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार पहले से है. वह यहां पर सरकार को दोहराने की कोशिश में है. यहां पर शिवराज सिंह चौहान अभी सीएम हैं. यहां पर लोकसभा सीटें 29 हैं. इनमें 28  भाजपा ने जीती हैं.  बस एक सीट छिंदवाड़ा कांग्रेस के पास है. छिंदवाड़ा सीट से कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ सांसद हैं. भाजपा के लिए यहां पर विधानसभा चुनाव में अपनी सरकार को बचाने की बड़ी चुनौती है. ऐसे में भाजपा ने अपने कई सांसदों को विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया है. भाजपा यहां पर किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती है. वह मध्य प्रदेश में अपनी सत्ता को कायम रखना चाहती है. 

तेलंगाना में भाजपा उभरने की करेगी कोशिश 

तेलंगाना विधानसभा चुनाव में कुछ 119 सीटें हैं. यहां पर साल 2018 के विधानसभा चुनाव में के.चंद्रशेखर राव की अगुआई वाली तेलंगाना राष्ट्र समिति (अब बीआरएस) ने 88 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में भाजपा को मात्र पांच सीटों पर ही जीत हासिल हुई थी. विधानसभा में 13 विधायकों के साथ कांग्रेस राज्य दूसरी बड़ा दल बना.  कांग्रेस ने इस दौरान खुद को उभारने का प्रयास किया. इस वर्ष जून में पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद और पूर्व विधायक समेत करीब दर्जन भर ने केसी राव का साथ छोड़ दिया और कांग्रेस में शामिल हो गए. यहां पर भाजपा सरकार अपने को उभारने की कोशिश में जुटी हुई है. वह चाहती है कि यहां पर ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल की जा सकें. यहां पर भाजपा ने 2019 में चार सीटों पर अपना कब्जा जमाया. इस बार के विधानसभा चुनाव में 17 सीटों पर भाजपा फोकस करने वाली है. 

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को कड़ी टक्कर देगी भाजपा  

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भाजपा का सीधा मुकाबला होगा. कर्नाटक के बाद कांग्रेस सबसे मजबूत छत्तीसगढ़ में दिखाई देती है. यहां पर कुल 90 सदस्यों वाली विधानसभा में 71 पर कांग्रेस विधायक हैं. यही वजह है कि कांग्रेस को अपना किला बचाने के लिए पूरा जोर लगाना पड़ रहा है. भाजपा दोबार से सत्ता में आने के लिए भरसक प्रयास करेगी. यहां पर भाजपा ने धर्मांतरण को अहम मुद्दा बनाया है. छत्तीसगढ़ में भी झारखंड की तरह ट्राइबल स्टेट हैं. यहां पर करीब 32 प्रतिशत आदिवासी मतदाता हैं.